Sunday, January 5, 2025

गाजियाबाद पुलिस ने फर्जी मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष को किया गिरफ्तार, सुरक्षा की मांग कर ठगी करने वाला ठग गिरफ्तार?

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AIN NEWS 1: गाजियाबाद पुलिस ने एक ऐसे ठग को गिरफ्तार किया है, जो खुद को उत्तर प्रदेश मानवाधिकार न्याय आयोग और नीति आयोग का अध्यक्ष बताकर अधिकारियों से वीआईपी प्रोटोकॉल प्राप्त करता था। आरोपी, अनस मलिक, फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर अपने आप को उच्च सरकारी पद पर आसीन बताता था और सुरक्षा, एस्कॉर्ट, तथा अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाता था। पुलिस की जांच के बाद उसे गिरफ्तार किया गया और उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई।

घटना का विवरण:

यह मामला तब सामने आया जब 8 नवंबर को गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट (DM) कार्यालय में एक पत्र प्राप्त हुआ। पत्र में लिखा था कि अनस मलिक, जो खुद को उत्तर प्रदेश मानवाधिकार न्याय आयोग का अध्यक्ष बताता था, डीएम से सुरक्षा की मांग कर रहा था। उसने मुरादाबाद, अमरोहा, हापुड़, गाजियाबाद और नोएडा में अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान सुरक्षा और एस्कॉर्ट की मांग की थी। पत्र में कहा गया था कि अनस मलिक को सीमा से सीमा तक सुरक्षा, यातायात और एस्कॉर्ट प्रदान की जाए।

पुलिस की जांच:

डीएम कार्यालय में प्राप्त पत्र की जांच के दौरान गाजियाबाद पुलिस को पता चला कि अनस मलिक नाम का कोई व्यक्ति वास्तव में मानवाधिकार न्याय आयोग या नीति आयोग से जुड़ा नहीं है। इसके बाद पुलिस ने उसकी पहचान की और आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। कविनगर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए क्राइम ब्रांच को मामले की जानकारी दी।

गिरफ्तार आरोपी की पहचान:

क्राइम ब्रांच ने मामले की जांच करते हुए मंगलवार रात मुरादाबाद जिले के गांव शाहपुर-मुबारकपुर कोकरपुर निवासी अनस मलिक को गिरफ्तार किया। आरोपी पर आरोप था कि उसने अधिकारियों से रौब झाड़ने और सरकार से लाभ प्राप्त करने के लिए खुद को उच्च सरकारी अधिकारी घोषित किया था।

ठगी के तरीके:

अनस मलिक खुद को मानवाधिकार न्याय आयोग और नीति आयोग का अध्यक्ष बताकर अधिकारियों और कर्मचारियों से सुरक्षा और एस्कॉर्ट की मांग करता था। इसके साथ ही वह अपने भ्रमण कार्यक्रम में निजी सचिव, पीएसओ और चालक का नाम और नंबर लिखता था। वह अपनी कार पर ‘अशोक की लाट’ और ‘नीति आयोग’ का स्टीकर लगाकर चलता था, जिससे लोग उसे सरकारी अधिकारी समझते थे। वह इस रौब का इस्तेमाल करके लोगों से धोखाधड़ी करता था और अनुचित लाभ प्राप्त करता था।

फर्जी दस्तावेज और कार की बरामदी:

गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने अनस मलिक से एक कार बरामद की, जिस पर ‘अशोक की लाट’ और ‘नीति आयोग’ का स्टीकर लगा हुआ था। इसके अलावा, कार में हूटर और सफेद पर्दे लगे हुए थे। पुलिस ने आरोपी से फर्जी लेटर पैड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के अंक पत्र भी बरामद किए। वह अपने फर्जी दस्तावेजों और स्टीकर्स का उपयोग कर लोगों को धोखा देता था।

फर्जी पहचान और ठगी:

पुलिस के अनुसार, अनस मलिक दसवीं कक्षा तक पढ़ा था, लेकिन उसने अपने आप को उच्च सरकारी पदों पर स्थापित करने के लिए फर्जी पहचान बनाई थी। वह बेरोजगारों से नौकरी दिलवाने के नाम पर पैसे लेता था। जिन लोगों को वह नौकरी दिलवा देता था, उनके पैसे अपने पास रख लेता था, जबकि जिनकी नौकरी नहीं लगती थी, उन्हें पैसे लौटा देता था।

कई जिलों में ठगी:

अनस मलिक ने सिर्फ गाजियाबाद ही नहीं, बल्कि अमरोहा सहित कई अन्य जिलों में भी वीआईपी प्रोटोकॉल का लाभ लिया था। उसने पुलिस और प्रशासन से ठगी करके धन प्राप्त किया और लोगों से बेरोजगारी के नाम पर पैसे ऐंठे।

अंत में:

पुलिस के अनुसार, अनस मलिक ने अपनी ठगी की आदत को लगातार जारी रखा था और बड़े अधिकारियों से रौब झाड़कर अपने निजी फायदे के लिए इसका इस्तेमाल करता था। अब पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। पुलिस ने बताया कि यह गिरफ्तारी एक महत्वपूर्ण सफलता है, जो सरकारी अधिकारियों और जनता के लिए एक बड़ा संदेश है कि ऐसे ठगों से सतर्क रहना आवश्यक है।

इस पूरे मामले में पुलिस की तत्परता और जांच ने एक बड़े ठग को पकड़ने में सफलता हासिल की है। अब यह स्पष्ट है कि अनस मलिक जैसे ठगों को समाज और प्रशासन के लिए खतरे की तरह देखा जाना चाहिए। पुलिस ने यह सुनिश्चित किया है कि वह आगे भी इस तरह की धोखाधड़ी के मामलों को सख्ती से निपटाएगी।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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