AIN NEWS 1: गाजियाबाद शहर में आवारा कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और यह अब नगर निगम के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। निगम के ताजा आंकड़ों के अनुसार, शहर की सीमा में वर्तमान में लगभग 60 से 65 हजार आवारा कुत्ते मौजूद हैं। इनमें से अब तक करीब 30 हजार कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और निगम की तैयारी
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में आवारा कुत्तों को नियंत्रित करने और उनके लिए उचित प्रबंधन करने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश के बाद गाजियाबाद नगर निगम ने भी शेल्टर होम (आश्रय स्थल) बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। हालांकि निगम अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अभी आदेश की आधिकारिक प्रति प्राप्त नहीं हुई है। आदेश मिलने के बाद उसकी बारीकी से समीक्षा कर, आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
फिलहाल कोई शेल्टर होम नहीं
गाजियाबाद शहर में इस समय आवारा कुत्तों के लिए कोई स्थायी शेल्टर होम नहीं है। ऐसे में, सड़कों पर घूमते कुत्तों से नागरिकों की सुरक्षा, सफाई और स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बनी रहती हैं। नगर निगम फिलहाल इन कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए नसबंदी पर जोर दे रहा है।
वर्तमान में चल रहे नसबंदी केंद्र
इस समय नंदग्राम और नए बस अड्डे के पास दो एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) सेंटर संचालित हो रहे हैं। इन केंद्रों का संचालन पिछले ढाई से तीन साल से लगातार किया जा रहा है। इन दोनों केंद्रों में प्रतिदिन 55 से 60 कुत्तों की नसबंदी की जाती है।
तीसरा केंद्र भी तैयार
सिद्धार्थ विहार में तीसरा एबीसी सेंटर बनाया जा रहा है, जो निर्माण के अंतिम चरण में है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि इस केंद्र के शुरू होने के बाद तीनों एबीसी केंद्रों की संयुक्त क्षमता बढ़कर प्रतिदिन 100 से 120 कुत्तों की नसबंदी तक हो जाएगी। इससे नसबंदी की प्रक्रिया में तेजी आएगी और आवारा कुत्तों की संख्या में कमी लाने में मदद मिलेगी।
शेल्टर होम के लिए आवश्यकताएं
नगर निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी, डॉ. अनुज सिंह ने बताया कि 60-65 हजार आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में शिफ्ट करने के लिए काफी बड़ी जगह की जरूरत होगी। इसके अलावा, वहां पर कुत्तों के लिए पर्याप्त भोजन, सुरक्षित और स्वच्छ रहने की व्यवस्था, और नियमित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करानी होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि उच्चाधिकारियों के निर्देश के अनुसार विस्तृत योजना बनाई जाएगी, जिसमें स्थान चयन, निर्माण कार्य, प्रबंधन, और पशु कल्याण से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं शामिल होंगी।
क्यों जरूरी है यह योजना
आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या शहर में कई समस्याएं पैदा कर रही है। पैदल यात्रियों, बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह खतरा बन सकते हैं। कई बार कुत्तों के झुंड द्वारा हमला करने की घटनाएं भी सामने आती हैं। इसके अलावा, सड़क पर दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाता है। शेल्टर होम और नसबंदी केंद्रों की मदद से इन समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उम्मीद की जा रही है कि गाजियाबाद में आवारा कुत्तों के प्रबंधन को लेकर ठोस कदम उठाए जाएंगे। नसबंदी, टीकाकरण और शेल्टर होम की व्यवस्था से शहर में न सिर्फ कुत्तों की संख्या नियंत्रित होगी, बल्कि इंसानों और जानवरों के बीच सुरक्षित सह-अस्तित्व भी संभव हो सकेगा।
गाजियाबाद नगर निगम का यह कदम शहर को अधिक सुरक्षित और साफ-सुथरा बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हो सकता है।
The Ghaziabad Municipal Corporation is preparing to build dedicated shelter homes for 60-65 thousand stray dogs after the Supreme Court’s recent order on stray animal management. With over 30 thousand dogs already sterilized and two operational Animal Birth Control (ABC) centers, the city is also constructing a third center to boost sterilization capacity. This initiative aims to ensure public safety, animal welfare, and effective stray dog population control in Ghaziabad.