AIN NEWS 1: गाजियाबाद के इन्द्रापुरम थाना क्षेत्र में हाल ही में बीजेपी युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष अनुज कसाना की गिरफ्तारी को लेकर तगड़ा सियासी हंगामा मच गया है। पुलिस द्वारा कसाना को गैंगस्टर जैसे संगीन आरोप में गिरफ्तार करने के बाद पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने थाने के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान बीजेपी के तमाम बड़े नेता और कार्यकर्ता पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कार्रवाई की निंदा कर रहे थे।
घटना का विवरण:
इन्द्रापुरम थाना में यह घटनाक्रम उस समय हुआ जब पुलिस ने अनुज कसाना को किसी एक मामले में गिरफ्तार किया और बाद में उन पर गैंगस्टर जैसे गंभीर आरोप लगा दिए। इस गिरफ्तारी के बाद बीजेपी युवा मोर्चा के महानगर अध्यक्ष सचिन डेढ़ा के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता इन्द्रापुरम थाने के बाहर जमा हो गए। उन्होंने थाने का घेराव किया और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कार्यकर्ताओं का आरोप था कि उनके नेता को फंसाया जा रहा है, और यह पुलिस की एक साजिश हो सकती है।
बीजेपी नेताओं का विरोध:
गाजियाबाद के महानगर अध्यक्ष और हाल ही में सदर सीट से विधायक बने संजीव शर्मा भी अपने कार्यकर्ताओं के समर्थन में थाने पहुंचे। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई की निंदा की और यह सुनिश्चित करने का भरोसा दिलाया कि वह अपने मंडल अध्यक्ष के साथ हैं। उन्होंने कहा कि वे सड़क से लेकर अदालत तक संघर्ष करेंगे और कार्यकर्ताओं के खिलाफ किसी भी तरह की उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करेंगे। विधायक के समर्थन से कार्यकर्ताओं का मनोबल और भी बढ़ गया है, और अब यह मामला और अधिक तूल पकड़ सकता है।
पुलिस का रुख:
हालांकि बीजेपी नेताओं के विरोध प्रदर्शन का पुलिस पर कोई असर नहीं पड़ा और पुलिस ने अपनी कार्रवाई जारी रखते हुए मंडल अध्यक्ष अनुज कसाना को जेल भेज दिया। इस घटना ने यह साफ कर दिया कि गाजियाबाद पुलिस सत्ता पक्ष के दबाव में आकर किसी तरह का समझौता नहीं करेगी। पुलिस अधिकारियों ने यह साबित किया कि उनका काम कानून और व्यवस्था बनाए रखना है, न कि राजनीतिक दबावों के आगे झुकना।
विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया:
वहीं विपक्षी दलों ने बीजेपी नेताओं के प्रदर्शन का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि यदि उनकी सरकार होती तो वे जानते कि नेतागीरी कैसे की जाती है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि बीजेपी नेता अब अपनी ही सरकार से परेशान हैं और पुलिस की कार्रवाई को लेकर वह भी घेरने की कोशिश कर रहे हैं। एक विपक्षी नेता ने कहा, “भाजपा नेताओं की धरना और नारेबाजी के बावजूद पुलिस ने किसी की नहीं सुनी और मंडल अध्यक्ष को जेल भेज दिया।”
लोनी प्रकरण और पुलिस का दबाव:
गाजियाबाद पुलिस ने इसी तरह का एक और कड़ा रुख लोनी के मामले में दिखाया था, जब बीजेपी की एक महिला पदाधिकारी को लेकर पुलिस ने सख्त कदम उठाए थे। हालांकि, लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने अपनी ही पार्टी की महिला पदाधिकारी को इंसाफ दिलाने के लिए पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनाया था। इस मामले में भी पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश की गई, लेकिन पुलिस ने अपने स्टैंड पर कायम रहते हुए कार्रवाई की।
राजनीतिक दृष्टिकोण:
गाजियाबाद के इन्द्रापुरम थाना में मची हलचल ने यह साफ कर दिया है कि पुलिस अब सत्ता के दबाव में आकर काम नहीं करेगी। भाजपा के नेता शायद यह उम्मीद कर रहे थे कि पुलिस के साथ उनके अच्छे संबंध और सत्ताधारी पार्टी का समर्थन उनके पक्ष में काम करेगा, लेकिन गाजियाबाद पुलिस ने यह संदेश दे दिया कि कानून से बढ़कर कुछ नहीं है। पुलिस की ओर से इस कड़े रुख को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी विवाद पैदा हो सकता है।
इस घटना से यह भी स्पष्ट हुआ कि गाजियाबाद में सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के लिए भी पुलिस से सख्त कार्रवाई को रोक पाना आसान नहीं है, चाहे वे सत्ता में हों या विपक्ष में। भाजपा के नेताओं ने जिस तरह से पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोला था, वह दिखाता है कि सत्ता के दबाव में पुलिस का काम प्रभावित होने की बजाय और भी सख्त हो सकता है।
आगे की स्थिति:
अब यह देखना बाकी है कि पुलिस अपनी कार्रवाई पर कायम रहती है या फिर सत्ता पक्ष के दबाव में कोई नरम रुख अपनाती है। फिलहाल, पुलिस ने जो कार्रवाई की है, वह एक कड़ा संदेश देती है कि कानून को किसी के दबाव में आकर बदला नहीं जा सकता। वहीं, बीजेपी नेताओं के विरोध को देखते हुए यह स्पष्ट है कि इस मुद्दे को लेकर सियासी माहौल गर्म रहने की संभावना है।
राजनीतिक पटल पर यह मुद्दा और बढ़ सकता है, क्योंकि गाजियाबाद में सत्ता पक्ष और पुलिस के बीच तनाव स्पष्ट हो गया है। अब यह देखना होगा कि यह विवाद किस दिशा में आगे बढ़ता है।