Friday, January 17, 2025

महाकुंभ छोड़ने का फैसला: हर्षा रिछारिया बोलीं- “मुझे बदनाम करने वालों को पाप लगेगा”

Actress-turned-spiritual seeker Harsha Richariya leaves Mahakumbh after facing allegations. She claims she was targeted for embracing Hinduism. Read her full story.

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महाकुंभ छोड़ने का दर्द: हर्षा रिछारिया बोलीं – “मैं सिर्फ धर्म को समझने आई थी”

Harsha Richariya Leaves Mahakumbh After Controversy | Says “I Feel Trapped”

प्रयागराज में 4 जनवरी को पेशवाई के समय हर्षा गले में रुद्राक्ष की माला और माथे पर तिलक लगाए दिखीं।

“मैं न कोई मॉडल हूं और न ही कोई संत, बस एक साधारण शिष्या हूं,” कहते हुए हर्षा रिछारिया की आंखों में आंसू छलक आते हैं। महाकुंभ में एक रथ पर बैठने के बाद विवादों में आईं हर्षा अब खुद को 10×10 के टेंट में कैद महसूस कर रही हैं।

महाकुंभ में आने का मकसद

मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली हर्षा बताती हैं कि वह आध्यात्म और धर्म को समझने के लिए यहां आई थीं। “मैं सिर्फ अपने गुरुदेव की भक्त हूं और उनके विचारों से प्रभावित होकर आई थी। लेकिन अब मुझ पर लग रहे आरोपों से मैं त्रस्त हूं और महाकुंभ छोड़ने का फैसला कर चुकी हूं।”

शाही सवारी विवाद और हर्षा की सफाई

दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान हर्षा रिछारिया फूट-फूटकर रोने लगीं और शॉल से अपने आंसू पोछे।

महाकुंभ में संतों के साथ शाही सवारी में शामिल होने के बाद हर्षा विवादों में घिर गईं। उनका कहना है, “हिंदू संस्कृति को अपनाने और समझने की कोशिश करना गलत नहीं है। मुझे लगा कि सनातन धर्म में हर किसी का स्वागत होता है, लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ।”

वह कहती हैं कि उस सवारी में उनके अलावा भी कई गृहस्थ लोग शामिल थे, लेकिन निशाने पर सिर्फ उन्हें लिया गया। “मीडिया ने मुझे टारगेट किया। मेरी पुरानी तस्वीरें वायरल की जा रही हैं, जबकि मैंने कभी कुछ नहीं छिपाया।”

ट्रोलिंग और पुराने प्रोफेशन पर उठे सवाल

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज की शिष्या हैं हर्षा रिछारिया।

हर्षा का कहना है कि उनका अतीत अब उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है। “मैं एक एंकर और एक्ट्रेस थी। प्रोफेशनल लाइफ में अलग तरह के कपड़े पहनना सामान्य बात है। मैंने कभी कोई मर्यादा नहीं तोड़ी, फिर भी मुझे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।”

वह आगे कहती हैं, “अगर किसी की पुरानी जिंदगी को आधार बनाकर उसे धर्म से जुड़ने का हक छीना जाएगा, तो यह पूरी नारी जाति का अपमान है। अगर कपड़ों को आधार बनाया जा रहा है, तो फिर नागा साधुओं को क्यों नहीं ट्रोल किया जाता?”

महाकुंभ छोड़ने का फैसला

लगातार हो रहे विरोध और विवादों से परेशान होकर हर्षा ने महाकुंभ छोड़ने का फैसला कर लिया है। “मुझे अब ऐसा लग रहा है कि मैंने बहुत बड़ा गुनाह कर दिया। मैं खुलकर सांस नहीं ले पा रही हूं। इसलिए मैंने यहां से जाने का निर्णय लिया है।”

“युवाओं से धर्म को जानने का मौका छीना गया”

हर्षा ने कहा कि वह युवाओं को धर्म से जोड़ने के लिए आई थीं, लेकिन कुछ लोगों ने उनसे यह मौका छीन लिया। “अगर कोई पश्चिमी संस्कृति से निकलकर सनातन धर्म को अपनाना चाहता है, तो उसे स्वीकार किया जाना चाहिए, न कि अपमानित किया जाए।”

उनका कहना है, “भगवान ने भी कभी किसी से पूजा करने का अधिकार नहीं छीना, फिर कुछ लोगों को यह हक कैसे मिल गया कि वे मुझे धर्म से दूर करने की कोशिश करें?”

आखिरी शब्दों में उन्होंने कहा, “जो खुद को धर्मगुरु कहते हैं, वे दूसरों पर अभद्र टिप्पणियां कर रहे हैं। मैंने सोचा था कि महाकुंभ में धर्म को समझूंगी, लेकिन अब यहां रहना असंभव हो गया है।”

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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