Tuesday, January 21, 2025

हर्षा रिछारिया ने कैलाशानंद का पंडाल छोड़ा, अब रविंद्र पुरी के संरक्षण में रहेंगी, शाही रथ पर बैठकर अमृत स्नान की तैयारी, युवाओं को धर्म से जोड़ने का लक्ष्य?

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AIN NEWS 1: महाकुंभ 2025 में अपनी शाही पेशवाई और धर्म से जुड़ने के प्रयासों के कारण चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने कैलाशानंद महाराज का पंडाल छोड़ दिया है। अब वे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी के संरक्षण में रहेंगी। इस बदलाव के साथ ही उन्होंने घोषणा की कि वे शाही रथ पर बैठकर अमृत स्नान करने जाएंगी।

रविंद्र पुरी ने किया स्वागत

हर्षा रिछारिया का स्वागत करते हुए रविंद्र पुरी ने उन्हें चुनरी ओढ़ाई। हर्षा ने उन्हें पिता समान बताया और कहा, “मैं अपने घर लौट आई हूं। मेरे सिर पर उनके आशीर्वाद का हाथ है। एक बेटी को जब पिता का साथ मिलता है, तो उसे और किसी चीज की जरूरत नहीं होती।”

पंडाल परिवर्तन: सेक्टर 9 से सेक्टर 20 तक का सफर

कैलाशानंद महाराज का पंडाल सेक्टर-9 में है, जबकि रविंद्र पुरी का पंडाल सेक्टर-20 में स्थित है। इस परिवर्तन के साथ, हर्षा ने अपने नए अध्याय की शुरुआत की है।

धर्म से जुड़ने का लक्ष्य

हर्षा ने कहा कि उनका उद्देश्य युवाओं को धर्म से जोड़ना है। “मैं धर्म को समझने और समाज में जागरूकता फैलाने के लिए यहां आई हूं। महाराज जी का आशीर्वाद मुझे इस रास्ते पर बनाए रखेगा,” उन्होंने कहा।

कुंभ छोड़ने का दर्द और वापसी की कहानी

हर्षा ने कुंभ छोड़ने के फैसले के पीछे अपनी तकलीफ का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “कुछ शब्दों ने मुझे गहरी चोट पहुंचाई। लेकिन देश भर से युवाओं के फोन और मैसेज ने मुझे वापसी के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अगर मैं चली गई, तो वे भी धर्म से दूर हो जाएंगे।”

आलोचनाओं के बीच दृढ़ता

हर्षा के शाही रथ पर बैठने को लेकर विवाद हुआ। कुछ संतों ने इस पर आपत्ति जताई, जबकि रविंद्र पुरी ने उनका बचाव किया। उन्होंने कहा, “हर्षा हमारी बेटी है। रथ पर बैठने में कोई पाप नहीं है। समाज में धर्म को लेकर सकारात्मक संदेश देने की जरूरत है।”

मॉडल से आध्यात्मिक जीवन की ओर

4 जनवरी को पेशवाई के दौरान, 30 वर्षीय मॉडल हर्षा रिछारिया ने बताया कि उन्होंने सुकून और शांति की तलाश में आध्यात्मिक जीवन चुना। हालांकि, उन्हें ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा और मीडिया ने उन्हें ‘सुंदर साध्वी’ का नाम दिया।

विवाद और हर्षा की प्रतिक्रिया

पेशवाई के दौरान हर्षा के शाही रथ पर बैठने को लेकर आनंद स्वरूप महाराज ने आलोचना की। उन्होंने कहा कि धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक है। इसके बावजूद, हर्षा ने अपने उद्देश्य से पीछे हटने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं धर्म के लिए संघर्ष करूंगी और युवाओं को इस दिशा में प्रेरित करूंगी।”

आंसुओं में झलकती खुशी और विश्वास

हर्षा ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “मेरे आंसू खुशी और दुख दोनों को बयां करते हैं। लेकिन अब खुशी ज्यादा है, क्योंकि महाराज जी का साथ मिला है। नारी को दुर्गा शक्ति के रूप में पूजा जाता है, और मैं अपने प्रयासों से धर्म का प्रचार करती रहूंगी।”

रविंद्र पुरी का समर्थन

रविंद्र पुरी ने कहा, “हर्षा हमारी बेटी है। उसके खिलाफ फैलाई गई अफवाहों से उसे तकलीफ हुई। हमें उसकी आलोचना करने के बजाय उसका सहयोग करना चाहिए।”

हर्षा रिछारिया का यह सफर चुनौतियों से भरा हुआ है, लेकिन उनका उद्देश्य स्पष्ट है—युवाओं को धर्म की ओर प्रेरित करना। महाकुंभ में उनका योगदान और उनकी यात्रा कई लोगों के लिए प्रेरणा बन रही है।

English SEO Paragraph:

Harsha Richariya, a prominent figure in the 2025 Maha Kumbh, has moved from Kailashanand Maharaj’s camp to Ravindra Puri’s guidance. Known for her participation in the royal procession on the Shahi Rath, Harsha aims to connect the youth with spirituality and spread awareness about the importance of religion. Despite controversies surrounding her, she remains determined to fulfill her spiritual journey and inspire others.

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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