AIN NEWS 1: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के दौरान धर्म परिवर्तन कर शादी करने के आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने धर्म छिपाकर विवाह किया और दुराचार किया।
मामले में अभियुक्त, जिसे आरिफ हुसैन के नाम से जाना जाता है, का दावा था कि उसने 2009 में इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपनाया और उसी वर्ष पीड़िता के साथ आर्य समाज मंदिर में विवाह किया। हालांकि, जब कोर्ट ने आरोपी के आधार कार्ड की जांच की, तो उसमें “आरिफ हुसैन” नाम लिखा हुआ पाया गया। इस पर न्यायालय ने अभियुक्त के वकील से प्रश्न किया कि यदि आरोपी ने धर्म परिवर्तन किया है, तो उसका नाम अभी भी आरिफ हुसैन क्यों है।
अभियुक्त का वकील इस सवाल का संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका, जिसके बाद न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पुलिस इस मामले की विस्तृत जांच करे, खासकर इस बात की कि क्या अभियुक्त ने आरिफ हुसैन के नाम से आधार कार्ड बनवाकर अन्य किसी अपराध को अंजाम दिया है।
इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में दर्ज किए गए आरोप गंभीर हैं। अभियुक्त के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पीड़िता के साथ उनका वैवाहिक विवाद है, जिसे दुराचार और धर्म छिपाने का रंग देकर एफआईआर में पेश किया गया है।
हालांकि, राज्य सरकार के अधिवक्ता ने इन दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि एफआईआर में लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए याचिका को खारिज नहीं किया जा सकता।
इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि धर्म परिवर्तन और विवाह के मामलों में कानून की दृष्टि से गंभीरता बरती जाती है। कोर्ट ने इस मामले को पूरी तरह से संज्ञान में लेते हुए यह निर्देश दिया है कि सभी बिंदुओं की गहराई से जांच की जाए।
इस मामले का निष्कर्ष यह है कि कोर्ट ने न केवल याचिका को खारिज किया, बल्कि साथ ही पुलिस को भी मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जांच करने का निर्देश दिया है। यह फैसला समाज में धर्म परिवर्तन और विवाह के संबंध में उठते विवादों पर महत्वपूर्ण संकेत देता है, खासकर जब आरोपी का नाम और पहचान से संबंधित मुद्दे सामने आते हैं।