AIN NEWS 1: बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिंदू समुदाय और उनके धार्मिक स्थलों के खिलाफ एक बार फिर भड़काऊ बयान सामने आया है। उन्होंने इस्कॉन मंदिरों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं किया गया, तो वे मंदिरों में घुसकर हिंदुओं पर हमला करेंगे।
कट्टरपंथियों की धमकी
कट्टरपंथी गुटों ने खुलेआम कहा है कि वे हिंदुओं को मंदिरों से घसीटकर उनकी हत्या करेंगे। इस प्रकार की बयानबाजी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय में दहशत का माहौल बना दिया है।
संविधान बदलने की मांग
इस विवाद के बीच, बांग्लादेश में हाल ही में देश के संविधान में बदलाव की मांग उठाई गई है। कट्टरपंथियों ने संविधान से ‘सेक्युलर’ शब्द हटाने का प्रस्ताव रखा है। उनका तर्क है कि बांग्लादेश की 90% जनसंख्या मुसलमानों की है, इसलिए देश को इस्लामी राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए।
अल्पसंख्यक समुदाय पर खतरा
बांग्लादेश का संविधान वर्तमान में धर्मनिरपेक्षता और सभी धर्मों के प्रति समानता की बात करता है। हालांकि, हाल के वर्षों में कट्टरपंथियों द्वारा अल्पसंख्यक हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं। इस तरह की घटनाएं देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को धूमिल कर रही हैं।
पिछली घटनाओं का संदर्भ
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले कोई नई बात नहीं हैं। दुर्गा पूजा और अन्य त्योहारों के दौरान हिंदू मंदिरों और उनके धार्मिक आयोजनों को कई बार कट्टरपंथियों के गुस्से का शिकार होना पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी बांग्लादेश सरकार को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।
सरकार की भूमिका
अब तक, बांग्लादेश सरकार ने इन कट्टरपंथी बयानों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। हालांकि, प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने पहले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए वचन दिया था। यह देखना बाकी है कि इस मामले में सरकार क्या कदम उठाती है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की जरूरत
इस मामले ने एक बार फिर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस स्थिति पर ध्यान देना चाहिए और बांग्लादेश सरकार को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
निष्कर्ष:
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर लगातार बढ़ते हमलों और धमकियों ने यह साबित कर दिया है कि देश में धर्मनिरपेक्षता खतरे में है। सरकार को जल्द से जल्द कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी ताकि सभी धर्मों के लोग सुरक्षित महसूस कर सकें।