Tuesday, December 24, 2024

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का इतिहास: इंदिरा गांधी की गलती से टूटी परंपरा, अब क्या सुधार पाएंगे पीएम मोदी?

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AIN NEWS 1 | 17 दिसंबर 2024 को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (संविधान 129वां संशोधन विधेयक) लोकसभा में पेश किया। इस बिल के समर्थन में तर्क दिया गया कि अगर 1952 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो सकते थे, तो अब क्यों नहीं? लेकिन सवाल उठता है कि 1967 में ऐसा क्या हुआ, जिससे यह परंपरा टूट गई?


1952 से 1967: एक साथ चुनाव की परंपरा

आजादी के बाद 1951-52 में देश में पहली बार लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए। यह सिलसिला 1967 तक चला, जब 1957, 1962 और 1967 में एक साथ चुनाव कराए गए। लेकिन इस बीच 1959 में केरल की सरकार भंग करके इंदिरा गांधी ने पहली बार इस परंपरा को तोड़ा।


1967: इंदिरा गांधी के फैसलों से टूटा सिलसिला

1967 में देश में फिर से लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए, लेकिन उसके बाद इंदिरा गांधी के कई फैसलों ने यह परंपरा तोड़ दी:

  1. 1968 में उत्तर प्रदेश में चौधरी चरण सिंह की सरकार बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
  2. पंजाब और पश्चिम बंगाल में भी चुनी हुई सरकारें बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
  3. 1971 में लोकसभा चुनाव समय से पहले करवा दिए गए, जबकि ये चुनाव 1972 में होने थे।

इन फैसलों की वजह से राज्यों की विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे।


चुनाव आयोग और लॉ कमीशन की सिफारिशें

  • 1983: चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की।
  • 1999: लॉ कमीशन की 170वीं रिपोर्ट में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का सुझाव दिया गया।
  • 2015: संसदीय स्थायी समिति ने फिर से यह विचार रखा।
  • 2017: नीति आयोग ने एक साथ चुनाव की जरूरत बताई।
  • 2018: जस्टिस बीएस चौहान की अगुवाई में बनी कमेटी ने कानूनी और संवैधानिक पहलुओं की जांच की और सिफारिश की।

जेपीसी में बिल की समीक्षा

अब यह बिल संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) को भेजा गया है, जहां इसकी विस्तृत समीक्षा होगी। हालांकि, यह संविधान संशोधन बिल है, जिसे पारित करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी। फिलहाल बीजेपी के पास यह संख्या नहीं है।

क्या ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ परंपरा फिर से शुरू होगी या यह विचार ठंडे बस्ते में चला जाएगा? इसका जवाब आने वाले समय में मिलेगा।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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