AIN NEWS 1: रिचा कर का सफर उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने अपनी मां की शर्म को पीछे छोड़ते हुए एक सफल लॉन्जरी ब्रांड, ज़िवामे (Zivame) की स्थापना की, जिसका मूल्य आज 1300 करोड़ रुपये है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
रिचा का जन्म 1980 में जमशेदपुर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई बीट्स पिलानी से की। पढ़ाई के बाद, उन्होंने बेंगलुरु में एक कंपनी में नौकरी की। इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि कई महिलाएं जब लॉन्जरी खरीदने जाती हैं, तो उन्हें पुरुष दुकानदारों के कारण शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
बिजनेस आइडिया की शुरुआत
रिचा ने इस समस्या का समाधान करने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला किया और अपने परिवार को अपने बिजनेस आइडिया के बारे में बताया। लेकिन, उनके परिवार और दोस्तों ने इस आइडिया का मजाक उड़ाया। उनकी मां ने विरोध करते हुए कहा, “मैं अपनी सहेलियों को कैसे बताऊंगी कि मेरी बेटी ब्रा-पैंटी बेचती है?”
हालांकि, रिचा ने हार नहीं मानी। अपनी दृढ़ता के चलते, उनकी मां भी बाद में उनका समर्थन करने लगीं।
वित्तीय चुनौतियाँ
रिचा के पास बिजनेस शुरू करने के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने अपने दोस्तों से उधार लेकर और अपनी बचत का इस्तेमाल करके कुल 35 लाख रुपये जमा किए। 2011 में, उन्होंने ज़िवामे की स्थापना की, जिससे महिलाएं बिना किसी शर्म के घर बैठे अपनी पसंद की लॉन्जरी खरीद सकें।
बिजनेस की वृद्धि
शुरुआत में ज़िवामे का बिजनेस धीमा था, लेकिन इंटरनेट और तकनीक के विकास के साथ, इसकी मांग बढ़ने लगी। आज ज़िवामे पर महिलाओं के लिए 5000 से अधिक लॉन्जरी स्टाइल, 50 से अधिक ब्रांड और 100 से अधिक साइज के अंडरगारमेंट्स उपलब्ध हैं। इसके अलावा, ज़िवामे “ट्राई एट होम” और फिटिंग कंसल्टेंट जैसी सुविधाएं भी प्रदान करता है, जिससे महिलाओं की सभी जरूरतें पूरी होती हैं।
सफलता की पहचान
रिचा के प्रयासों और उनके बिजनेस मॉडल की वजह से, 2014 में उनका नाम Fortune India की “Under 40” लिस्ट में शामिल किया गया। यह उनकी मेहनत और समर्पण का प्रतीक है।
निष्कर्ष
रिचा कर का सफर यह दर्शाता है कि यदि आपके पास एक अच्छा आइडिया है और आप अपनी मेहनत पर विश्वास करते हैं, तो आप किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। ज़िवामे न केवल एक सफल बिजनेस है, बल्कि यह महिलाओं के लिए एक सशक्तिकरण का प्रतीक भी बन चुका है। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी हर किसी को प्रेरित करती है कि अपने सपनों के पीछे दौड़ना कभी नहीं छोड़ना चाहिए।