Saturday, March 1, 2025

दाऊद इब्राहिम कैसे बना अंडरवर्ल्ड डॉन: मुंबई पर उसकी अकेली राज के किस्से

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AIN NEWS 1 | मुंबई, जो भारत का आर्थिक और व्यापारिक केंद्र है, 20वीं सदी के मध्य से लेकर 1990 के दशक तक अंडरवर्ल्ड की गतिविधियों का गढ़ बन चुका था। इस शहर के समुद्री मार्गों से लेकर बॉलीवुड और बड़े-बड़े व्यापारिक घरानों तक, यहां पर हर कोई अपने व्यापार और पैसे के लिए सक्रिय था। इस शहर के अंडरवर्ल्ड में बहुत से नाम थे, लेकिन दाऊद इब्राहिम का नाम सबसे ज्यादा गूंजता है। आइए जानें कैसे एक साधारण परिवार से आने वाला लड़का मुंबई के अंडरवर्ल्ड का सबसे बड़ा डॉन बना।

साधारण परिवार से अंडरवर्ल्ड तक का सफर

दाऊद इब्राहिम का जन्म 26 दिसंबर 1955 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के मुमका गांव में हुआ था। उसके पिता हवलदार थे और परिवार साधारण था, लेकिन दाऊद का सपना हमेशा बड़ा था। उसे बचपन से ही लग्जरी लाइफ जीने का शौक था और इसी के चलते उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। मुंबई, जो व्यापारिक दृष्टि से बहुत अहम था, तस्करी और अवैध व्यापार के लिए उपयुक्त जगह बन चुका था, और यही वह जगह थी, जहां दाऊद का अंडरवर्ल्ड साम्राज्य खड़ा हुआ।

सात साल की उम्र से अपराध की शुरुआत

दाऊद का अपराधी जीवन सात साल की उम्र में ही शुरू हो गया था। उसने चोरी और डकैती की घटनाओं में अपनी भागीदारी शुरू की थी, और फिर समय के साथ तस्करी में भी हाथ आजमाया। उसका पहला गिरफ्तारी भी उसके पिता ने ही की थी, लेकिन उसे सुधारने की बजाय पिता ने उसे घर से निकाल दिया। इसके बाद दाऊद ने करीम लाला के गैंग को जॉइन किया, जो उस समय मुंबई के अंडरवर्ल्ड में एक प्रमुख गैंग था।

भाई की हत्या और गैंगवार की शुरुआत

1981 में, दाऊद के भाई शब्बीर इब्राहिम की हत्या कर दी गई, जो उसे एक बड़ा सदमा था। यह हत्या पठान गैंग द्वारा की गई थी, और इसके बाद दाऊद इब्राहिम ने उन लोगों से प्रतिशोध लेने का मन बना लिया। इस घटना ने मुंबई के अंडरवर्ल्ड में गैंगवार की शुरुआत कर दी। दाऊद ने पठान गैंग के खिलाफ अपनी खूनी लड़ाई शुरू की और पांच साल बाद करीम लाला के भाई रहीम खान को भी मार डाला। इस घटना ने दाऊद को अंडरवर्ल्ड का सबसे शक्तिशाली डॉन बना दिया।

डी-कंपनी और अवैध कारोबार

करीम लाला और हाजी मस्तान के बाद, दाऊद ने डी-कंपनी नामक अपना गैंग स्थापित किया। डी-कंपनी ने सोने की तस्करी, जबरन वसूली, मादक पदार्थों की तस्करी, और रियल एस्टेट के कारोबार में रंगदारी मांगने जैसी अवैध गतिविधियों को बढ़ावा दिया। दाऊद ने दुबई में अपनी गतिविधियों का केंद्र स्थापित किया, जहां से उसने दक्षिण एशिया, मिडल ईस्ट और अफ्रीका तक अपना नेटवर्क फैलाया।

फिल्मों में पैसा लगाना और बड़ा प्रभाव

दाऊद का प्रभाव सिर्फ अपराध तक सीमित नहीं था। वह फिल्मों में पैसा लगाने और कलाकारों को काम दिलाने में भी सक्रिय था। बॉलीवुड से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में उसका प्रभाव बढ़ता चला गया।

मुंबई बम धमाका 1993

12 मार्च 1993, मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों के पीछे दाऊद इब्राहिम का हाथ था। इन धमाकों में 257 लोग मारे गए और 713 घायल हुए थे। इस घटना में 27 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ था। दाऊद ने यह सब अपने नेटवर्क के जरिए कराया, लेकिन वह देश से बाहर था और पुलिस के हाथ नहीं आया। बाद में, वह पाकिस्तान भाग गया, जहां से उसने अपने अपराध साम्राज्य को चला रहे थे।

आज भी खड़ा है दाऊद का साम्राज्य

दाऊद इब्राहिम का अपराध साम्राज्य आज भी अपनी छाप छोड़ता है, और उसका नाम अंडरवर्ल्ड के सबसे बड़े डॉन के रूप में लिया जाता है। वह आज भी पाकिस्तान में रहकर अपनी गतिविधियों को नियंत्रित करता है और उसकी आपराधिक गतिविधियां भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में फैली हुई हैं। दाऊद का सफर यह बताता है कि मुंबई जैसे शहर में किस तरह एक व्यक्ति ने अपने अपराध साम्राज्य का विस्तार किया और वह आज भी भारतीय कानून की पकड़ से बाहर है।

Dawood Ibrahim, the notorious underworld don, rose from humble beginnings to control the Mumbai underworld and extend his criminal empire internationally. Born in 1955 in the town of Mumka, Maharashtra, Dawood’s journey into the world of crime began at a young age. His involvement in smuggling, extortion, and drug trafficking eventually led him to establish his own criminal syndicate, D-Company. The turning point in his career came after the tragic murder of his brother, Shabbir, by the Pathan gang, which ignited a bloody gang war in Mumbai’s underworld. Despite his exile to Dubai and later Pakistan, Dawood’s influence continued to grow, culminating in his role as the mastermind behind the 1993 Mumbai bombings. His legacy as one of the most feared criminals in history remains significant today.

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।

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