How to Avoid Property Fraud in India: Important Tips Before Buying or Selling Property
प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने में बढ़ते फ्रॉड से कैसे बचें: जानें जरूरी सावधानियां
AIN NEWS 1: आजकल प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने से जुड़े फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कई बार लोग अपनी जिंदगी की सारी पूंजी लगाकर घर या जमीन खरीदते हैं, लेकिन सही जानकारी और सतर्कता की कमी के कारण वे धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं। ऐसे मामलों में पैसे तो चले जाते हैं, लेकिन न तो प्रॉपर्टी मिलती है और न ही इंसाफ आसानी से। इसलिए अगर आप भी कोई प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने की योजना बना रहे हैं, तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
क्यों बढ़ रहे हैं प्रॉपर्टी फ्रॉड के मामले?
डिजिटल दस्तावेजों और बढ़ती टेक्नोलॉजी के बावजूद भी आज प्रॉपर्टी से जुड़े कागजातों की फर्जीवाड़ा करने वालों की कमी नहीं है। नकली रजिस्ट्री, जाली खतौनी, फर्जी टाइटल डीड जैसे मामलों की संख्या बढ़ी है। कई बार तो ऐसा होता है कि किसी तीसरे व्यक्ति की जमीन को बेच दिया जाता है, या एक ही जमीन को कई लोगों को बेच दिया जाता है।
खरीदारी से पहले कौन-कौन से दस्तावेज जांचना जरूरी हैं?
प्रॉपर्टी खरीदते समय निम्नलिखित दस्तावेजों की अच्छी तरह जांच-पड़ताल करनी चाहिए:
1. टाइटल डीड (Title Deed):
यह दस्तावेज साबित करता है कि बेचने वाला व्यक्ति प्रॉपर्टी का असली मालिक है। इसमें प्रॉपर्टी के मालिकाना हक और ट्रांसफर की जानकारी होती है।
2. सेल डीड (Sale Deed):
रजिस्ट्री के समय बनाया गया सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज। इसे रजिस्ट्री ऑफिस में रजिस्टर्ड कराना जरूरी है।
3. एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate):
यह बताता है कि प्रॉपर्टी पर किसी भी प्रकार का लोन या कानूनी विवाद तो नहीं है।
4. प्रॉपर्टी टैक्स रसीदें:
पिछला टैक्स समय पर दिया गया है या नहीं, यह पता चलता है।
5. रजिस्ट्री पेपर:
प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के दस्तावेज वास्तविक होने चाहिए और सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होने चाहिए।
6. NOC (No Objection Certificate):
बिल्डर या सोसाइटी से यह लिया जाता है कि उन्हें प्रॉपर्टी की बिक्री पर कोई आपत्ति नहीं है।
7. खतौनी और नक्शा:
यह दस्तावेज जमीन की कानूनी स्थिति और सीमाएं दर्शाते हैं।
8. बैनामा और यूटिलिटी सर्टिफिकेट:
इनसे प्रॉपर्टी के पिछले रिकॉर्ड और उपयोगिता सेवाओं की जानकारी मिलती है।
प्रॉपर्टी खरीदते समय क्या सावधानियां बरतें?
अगर बेचने वाला व्यक्ति दस्तावेज दिखाने से बच रहा है, तो सतर्क हो जाएं।
रजिस्ट्री के समय नाम, पता, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि की जानकारी बिल्कुल सटीक होनी चाहिए। अगर इनमें कोई अंतर है तो डील फाइनल न करें।
सेल डीड, टाइटल डीड और अन्य जरूरी दस्तावेजों को सरकारी वेबसाइट या रजिस्ट्री ऑफिस से क्रॉस-वेरिफाई करें।
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट से यह सुनिश्चित करें कि प्रॉपर्टी किसी भी लोन या विवाद में फंसी न हो।
विक्रेता के आधार और पैन कार्ड की जानकारी जांचें और सुनिश्चित करें कि वे एक-दूसरे से मेल खाती हैं।
प्रॉपर्टी बेचते समय किन बातों का रखें ध्यान?
खरीदार को पूरी जानकारी दें और दस्तावेजों को पारदर्शिता के साथ पेश करें।
अगर प्रॉपर्टी में किसी अन्य का हिस्सा है, तो उसकी सहमति जरूरी है।
पजेशन लेटर, एनओसी, यूटिलिटी बिल और टैक्स रसीदें पहले से तैयार रखें।
डील से पहले एक वकील या प्रॉपर्टी एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
कानूनी मदद कब लें?
अगर आपको लगता है कि कोई आपको धोखा देने की कोशिश कर रहा है या आपने गलती से फर्जी प्रॉपर्टी खरीद ली है, तो तुरंत पुलिस में शिकायत करें और कानूनी सलाह लें। जितनी जल्दी आप कार्रवाई करेंगे, उतना ही नुकसान से बचा जा सकेगा।
Property fraud cases in India are increasing rapidly due to fake property documents, illegal registration, and lack of verification. Whether you’re planning to buy property or sell property, it’s important to verify all property documents like title deed, sale deed, encumbrance certificate, and property tax receipts. Always check the registry records and NOC before finalizing any deal. Being cautious about property fraud in India can help you save your hard-earned money and avoid legal troubles.