AIN NEWS 1: आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने समाजवादी पार्टी (सपा) के एक नेता को पाकिस्तान जाने को लेकर करारा जवाब दिया है। दरअसल, सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ओवैसी से पाकिस्तान जाने की बात कही थी, जिसके बाद ओवैसी ने अपनी बात रखी।
ओवैसी का पाकिस्तान पर बयान
स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि ओवैसी को पाकिस्तान जाना चाहिए, और वहां जाकर अपनी धरती की तारीफ करनी चाहिए। मौर्य ने कहा था, “ओवैसी हमेशा पाकिस्तान का समर्थन करते हैं, उन्हें पाकिस्तान ही जाना चाहिए।”
इस बयान का ओवैसी ने तुरंत जवाब दिया और मौर्य की टिप्पणियों का मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा, “अगर मैंने पाकिस्तान जाने का फैसला किया तो तुझे क्या फर्क पड़ेगा? क्या तुम मुझसे कुछ उखाड़ सकोगे? मैं पाकिस्तान क्यों जाऊं, ये मेरी अपनी पसंद है। और अगर मैं नहीं गया, तो तुम्हारा क्या होगा?”
ओवैसी का हमला
ओवैसी ने मौर्य पर हमला करते हुए कहा, “तुम जैसे लोग हमेशा हमारे देश के खिलाफ बोलते हो, लेकिन हमें किसी के कहने पर अपनी देशभक्ति साबित करने की जरूरत नहीं है। मैं भारत में पैदा हुआ हूं और यहीं रहकर अपने लोगों के लिए काम करता हूं। तुम जैसे लोग सिर्फ राजनीति के लिए धर्म और देश का नाम खराब करते हो।”
सपा और AIMIM के बीच का विवाद
यह विवाद केवल एक बयान से अधिक है। सपा और AIMIM के बीच पहले भी कई बार बयानबाजी हो चुकी है। ओवैसी और मौर्य के बीच राजनीतिक मतभेद हैं, जिनकी जड़ें यूपी की राजनीति में हैं। मौर्य, जो पहले सपा से जुड़े थे, अब बीजेपी का हिस्सा बन चुके हैं। वहीं ओवैसी ने हमेशा समाज में भेदभाव और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई है। दोनों के बीच यह तकरार एक नए मोड़ पर आ गई है, जिसमें धर्म और राष्ट्रवाद जैसे संवेदनशील मुद्दे भी उठाए जा रहे हैं।
समाजवादी पार्टी की प्रतिक्रिया
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर समाजवादी पार्टी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। सपा के नेताओं ने ओवैसी को निशाने पर लेते हुए कहा कि उनका राजनीतिक कद बढ़ाने के लिए इस तरह की बयानबाजी करना एक पुरानी रणनीति बन चुकी है। सपा के प्रवक्ता ने कहा, “ओवैसी का उद्देश्य सिर्फ विवादों में बने रहना है। उनका राजनीति से कोई असल संबंध नहीं है, वे केवल उकसाने वाले बयान देते हैं।”
निष्कर्ष
ओवैसी और मौर्य के बीच यह तकरार एक और उदाहरण है कि भारतीय राजनीति में धर्म और राष्ट्रवाद का मुद्दा अक्सर विवादों को जन्म देता है। हालांकि, यह साफ है कि दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक और व्यक्तिगत मतभेद गहरे हैं। ऐसे में इन विवादों का असर राज्य और राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ सकता है।