AIN NEWS 1: दुनिया में ताक़त और हुनर का अनोखा रिश्ता है। कई बार ऐसा होता है कि इंसान के पास हुनर तो होता है, लेकिन ताक़त या साधनों की कमी के कारण वह अपनी काबिलियत का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता। ऐसे हालात में हुनर की कीमत घट जाती है, क्योंकि उसे दिखाने या काम में लाने का मौका ही नहीं मिलता।
हुनर का महत्व
हर इंसान में कोई न कोई हुनर होता है। यह हुनर उसकी पहचान बन सकता है, उसकी सफलता की कहानी लिख सकता है। लेकिन जब यह हुनर सही प्लेटफ़ॉर्म या साधनों के बिना रह जाता है, तो इसका महत्व घट जाता है। चाहे कोई कलाकार हो, वैज्ञानिक, खिलाड़ी या लेखक, जब तक उसे अपनी क्षमता दिखाने का अवसर नहीं मिलता, उसका हुनर बस एक छिपे हुए खजाने जैसा रह जाता है।
ताक़त की भूमिका
ताक़त का मतलब सिर्फ़ शारीरिक ताक़त नहीं है, बल्कि संसाधनों, अवसरों और सपोर्ट सिस्टम से भी है। यह ताक़त ही इंसान के हुनर को निखारने और दुनिया के सामने लाने में मदद करती है। अगर किसी व्यक्ति को आर्थिक, सामाजिक या मानसिक सहयोग नहीं मिलता, तो उसका हुनर एक बंधन में फंसा रह जाता है।
हुनर और ताक़त का संतुलन क्यों ज़रूरी है?
हुनर और ताक़त के बीच संतुलन होना ज़रूरी है। अगर किसी व्यक्ति के पास हुनर है और उसे सही साधन मिलते हैं, तो वह अपनी पहचान बना सकता है। उदाहरण के तौर पर, एक कलाकार के पास कला का अद्भुत ज्ञान हो सकता है, लेकिन अगर उसे मंच नहीं मिलता, तो उसकी कला कहीं खो जाती है। ठीक इसी तरह, एक वैज्ञानिक के पास अगर खोज करने की क्षमता है, लेकिन संसाधनों की कमी है, तो उसका हुनर भी व्यर्थ हो सकता है।
समाज की ज़िम्मेदारी
एक विकसित और समझदार समाज वही है जो हर व्यक्ति के हुनर को पहचानने और उसे निखारने में मदद करे। हुनरमंद लोगों को साधन और अवसर प्रदान करना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है। इससे न केवल व्यक्तिगत विकास होता है, बल्कि समाज और देश भी तरक्की करता है।
हुनर की कद्र तभी होती है जब उसे प्रदर्शित करने का अवसर मिले। ताक़त और साधन वह कड़ी हैं जो हुनर को वास्तविकता में बदलते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम न केवल अपने बल्कि दूसरों के हुनर को पहचानें और उसे आगे बढ़ाने में मदद करें। यही एक सशक्त समाज की पहचान है।