AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के आरक्षण में उप-वर्गीकरण की अनुमति देने का फैसला सुनाया है। सात जजों की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से निर्णय दिया कि SC/ST वर्ग के भीतर क्रीमी लेयर की पहचान की जा सकती है और उन्हें आरक्षण के लाभ से बाहर रखा जा सकता है।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुनाए गए इस फैसले में जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि राज्यों को SC/ST वर्ग के भीतर क्रीमी लेयर की पहचान करने और उन्हें आरक्षण लाभ से बाहर करने के लिए नीति बनानी चाहिए। जस्टिस विक्रम नाथ ने इस दृष्टिकोण का समर्थन किया, यह बताते हुए कि जैसे ओबीसी वर्ग में क्रीमी लेयर लागू होती है, वैसे ही SC/ST में भी इसे लागू किया जाना चाहिए।
फैसले के अनुसार, SC/ST में क्रीमी लेयर के तहत आने वाले अमीर लोगों को आरक्षण के लाभ से वंचित किया जाना चाहिए। जस्टिस पंकज मिथल ने सुझाव दिया कि आरक्षण का लाभ केवल एक पीढ़ी तक सीमित रहना चाहिए, जबकि जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने इस विचार का समर्थन किया कि SC/ST के लिए क्रीमी लेयर की पहचान एक संवैधानिक आवश्यकता होनी चाहिए।
वर्तमान में क्रीमी लेयर की अवधारणा केवल ओबीसी वर्ग के आरक्षण पर लागू होती है। इस नियम के तहत, जिनका परिवार सालाना 8 लाख रुपये से अधिक कमाता है, वे क्रीमी लेयर में आते हैं और उन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिलता।
संविधान पीठ में जस्टिस बेला त्रिवेदी ने उप-वर्गीकरण के फैसले से असहमति जताई और कहा कि राज्यों की सकारात्मक कार्यवाही संविधान के दायरे में होनी चाहिए। यह पीठ 23 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें से मुख्य याचिका पंजाब सरकार ने दायर की थी।