AIN NEWS 1: हिमाचल प्रदेश सरकार ने लड़कियों के विवाह की कानूनी उम्र को बढ़ाकर 21 साल कर दिया है। यह निर्णय विधानसभा के मानसून सत्र में बाल विवाह प्रतिषेध (हिमाचल प्रदेश संशोधन विधेयक 2024) के रूप में पारित किया गया। इस विधेयक का उद्देश्य लड़कियों को उच्च शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य के अधिकार प्रदान करना है।
हमने निर्णय किया है कि बेटियों की शादी की उम्र 21 साल होगी, ताकि वे शिक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ सकें। यह केवल एक कानून नहीं है, बल्कि एक स्पष्ट संदेश है कि हमारी बेटियों को अपने सपनों को पूरा करने का पूरा अधिकार है।
जब बेटियाँ शिक्षित और… pic.twitter.com/SMefm22hMy
— Sukhvinder Singh Sukhu (@SukhuSukhvinder) August 28, 2024
बाल विवाह के खिलाफ भारत में ऐतिहासिक पहल
भारत में बाल विवाह के खिलाफ पहला कानून 1929 में लागू हुआ था, जिसे शारदा ऐक्ट के नाम से जाना जाता है। इस कानून के तहत लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 14 साल निर्धारित की गई थी। 1978 में इसे बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया और 2006 में इस ऐक्ट की जगह बाल विवाह प्रतिषेध विधेयक ने ले ली।
हिमाचल प्रदेश का ऐतिहासिक निर्णय
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि इस फैसले से लड़कियों की स्वास्थ्य समस्याओं में कमी आएगी और वे आने वाली पीढ़ियों को सशक्त करेंगी। उनका कहना है कि अब लड़कियों को शिक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा। यह निर्णय एक स्पष्ट संदेश है कि बेटियों को अपने सपनों को पूरा करने का पूरा अधिकार है।
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह भी कहा कि जब बेटियाँ शिक्षित और आत्मनिर्भर बनेंगी, तो वे न केवल अपने परिवार के लिए गर्व का कारण बनेंगी बल्कि समाज और देश के लिए भी गर्व का प्रतीक बनेंगी। इस निर्णय से कुपोषण और स्वास्थ्य समस्याओं में भी कमी आएगी, जिससे समाज का समग्र स्वास्थ्य सुधार होगा और आने वाली पीढ़ियाँ स्वस्थ और सशक्त बन सकेंगी।
बाल विवाह की स्थिति
हिमाचल प्रदेश में 18 से 24 साल की केवल पांच फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हुई है। इसके विपरीत, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, त्रिपुरा, असम और राजस्थान जैसे राज्यों में बाल विवाह की संख्या अधिक है।
दुनियाभर में बाल विवाह का परिदृश्य
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की सस्टेनेबल डेवलपमेंट रिपोर्ट 2024 के अनुसार, दुनियाभर में करीब 64 करोड़ लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो चुकी है। इनमें से एक तिहाई बाल विवाह अकेले भारत में हुए हैं।
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश का यह निर्णय लड़कियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उन्हें शिक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर देगा। हालांकि, बाल विवाह को पूरी तरह से रोकने के लिए केवल न्यूनतम उम्र बढ़ाना ही काफी नहीं होगा। इसके लिए समाज के सभी हिस्सों को जागरूक करने और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।