AIN NEWS 1: भारत और पाकिस्तान के बीच शनिवार को हुए अप्रत्याशित युद्धविराम समझौते ने देश और विशेषज्ञों को चौंका दिया। कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने इस समझौते का उल्लंघन कर श्रीनगर में ड्रोन हमला किया, जिससे हालात फिर तनावपूर्ण हो गए। इस पूरी स्थिति पर प्रसिद्ध भू-राजनीतिक विश्लेषक ब्रह्म चेलानी ने गहरी नाराजगी जताई और भारत की रणनीति पर सवाल खड़े किए।
भारत जीत की स्थिति में था: चेलानी
ब्रह्म चेलानी ने कहा कि भारत की सैन्य स्थिति मजबूत थी और वह रणनीतिक रूप से ऊपरी हाथ में था। उन्होंने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में बताया कि पाकिस्तान की वायु सुरक्षा बेहद कमजोर साबित हुई, जबकि भारत ने सीमित संख्या में मिसाइल और ड्रोन का प्रयोग कर अपने लक्ष्य सफलतापूर्वक साधे।
इसके बावजूद, भारत ने अचानक तनाव कम करने का निर्णय लेकर युद्धविराम की घोषणा कर दी, जो चेलानी के अनुसार “जीत के मुंह से हार छीनने” जैसा है। उनका मानना है कि भारत ने अपने मजबूत सैन्य स्थिति का कोई रणनीतिक लाभ नहीं उठाया।
इतिहास से सबक नहीं लिया गया
चेलानी ने भारत के निर्णय की तुलना 1972 और 2021 की घटनाओं से की। उन्होंने कहा, “1972 में भारत ने बिना कुछ लिए पाकिस्तान को युद्धबंदी वापस कर दिए। 2021 में कैलाश हाइट्स खाली कर दी गई, जिससे चीन से बातचीत में भारत की स्थिति कमजोर हो गई।”
उनके अनुसार, अब ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत के पास पाकिस्तान को जवाब देने का एक मजबूत प्रतीकात्मक मौका था, जिसे आधे में रोक दिया गया। उन्होंने कहा कि दिल्ली पर पाकिस्तान की मिसाइल हमले के बाद भारत को जवाबी कार्रवाई में और स्पष्टता दिखानी चाहिए थी।
ऑपरेशन सिंदूर: अधूरा बदला?
ब्रह्म चेलानी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर, जिसमें 26 भारतीय सैनिकों की शहादत का बदला लिया जाना था, का अचानक समापन कई सवाल खड़े करता है। उन्होंने इसे रणनीतिक और प्रतीकात्मक भूल बताया। “इतिहास इस फैसले को अच्छे नजरिए से नहीं देखेगा,” उन्होंने कहा।
सीजफायर का अचानक ऐलान: कैसे और क्यों?
शनिवार को दोपहर 3:30 बजे पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को फोन कर सीजफायर की पेशकश की। शाम 5 बजे से दोनों देशों ने जमीनी, हवाई और समुद्री कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई। लेकिन इसी दिन सुबह भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान सीमाओं पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा रहा है और भारत अलर्ट पर है।
पाकिस्तान ने तोड़ा समझौता, अमृतसर में रेड अलर्ट
सीजफायर के कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान ने ड्रोन के जरिए श्रीनगर में हमला किया, जिसके बाद अमृतसर में रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सेना को जवाबी कार्रवाई की अनुमति दी, लेकिन फिर भी रणनीतिक ऑपरेशन रोक दिया गया।
राजनीतिक मजबूरी या रणनीतिक भूल?
ब्रह्म चेलानी का मानना है कि भारत बार-बार ऐसी स्थिति में होता है जहां वह जीत के करीब होता है, लेकिन अंत में दबाव में आकर पीछे हट जाता है। उन्होंने भारत की नीति को “दोहराव वाला पैटर्न” बताया, जहां इतिहास से कोई सीख नहीं ली जाती।
क्या भारत ने मौका गंवा दिया?
भारत की जनता और रणनीतिक समुदाय में यह प्रश्न गूंज रहा है कि जब भारत सैन्य रूप से मजबूत स्थिति में था, तब उसने युद्धविराम क्यों स्वीकार किया। ब्रह्म चेलानी की टिप्पणी इस पूरे घटनाक्रम को एक नई दृष्टि से देखने को मजबूर करती है।
Geopolitical expert Brahma Chellaney has strongly criticized India’s decision to agree to a ceasefire with Pakistan after a period of intense conflict. Despite India’s strategic military advantage, including successful drone and missile strikes and Pakistan’s weak air defense, the government opted for de-escalation. Chellaney refers to this as another instance of India surrendering its military leverage, comparing it to past mistakes like the 1972 post-war negotiations and the 2021 withdrawal from Kailash Heights. The ceasefire was violated within hours by Pakistan, raising serious questions about India’s foreign policy, defense strategy, and the symbolic failure of Operation Sindoor.