विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा कि अगर पाकिस्तान बड़ा हमला करता तो भारत उससे भी बड़ी कार्रवाई करता। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किए गए मध्यस्थता के दावे पर भी जयशंकर ने दो टूक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर किसी तीसरे देश के कहने पर नहीं, बल्कि दोनों देशों के डीजीएमओ की बातचीत से हुआ।
🔹 विदेश मामलों की कमेटी में जयशंकर की स्पष्ट बात
एस. जयशंकर ने विदेश मामलों की कंसल्टेटिव कमिटी की बैठक में हिस्सा लिया। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने बैठक में बताया कि भारत ने हर देश को सिर्फ इतना कहा कि अगर पाकिस्तान गोली चलाएगा, तो हम भी जवाब देंगे। अगर वो रुकता है, तभी हम भी रुकेंगे। यह संदेश हमने पूरी दुनिया को दिया।
🔹 अमेरिका को मिला साफ जवाब
जयशंकर ने खुलासा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के पहले चरण के बाद अमेरिकी सेक्रेटरी ने भारत से संपर्क किया था। उन्होंने आगाह किया कि पाकिस्तान एक बड़ा हमला कर सकता है। इस पर भारत की ओर से तुरंत जवाब दिया गया कि अगर पाकिस्तान बड़ा हमला करेगा, तो भारत उससे भी बड़ी कार्रवाई के लिए तैयार है।
🔹 ट्रंप के दावे पर भारत की स्थिति
डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया। इस पर जयशंकर ने दोहराया कि यह सीजफायर सिर्फ भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हुई बातचीत के आधार पर हुआ। इसमें किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी।
🔹 ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है
जयशंकर ने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद भारत ने पाकिस्तान को सूचित कर दिया था कि हमारी कार्रवाई केवल आतंकी ठिकानों के खिलाफ थी। उन्होंने कमेटी सदस्यों से अपील की कि अगर किसी को ऑपरेशन से जुड़ी कोई जानकारी चाहिए तो सरकार से बात करें, मीडिया में बयानबाज़ी से बचें। क्योंकि इससे पाकिस्तान को फायदा मिलता है और ऑपरेशन की रणनीति पर असर पड़ता है।
External Affairs Minister S. Jaishankar stated that during Operation Sindoor, India was fully prepared for a bigger retaliation if Pakistan escalated the conflict. He rejected the US mediation claim made by former President Donald Trump, asserting that the India-Pakistan ceasefire was a result of bilateral talks between both nations’ DGMO. Jaishankar also confirmed that India’s counterstrike targeted only terrorist bases, and any further action would prioritize national interest.