India on SAARC: MEA Spokesperson Highlights Bangladesh’s Concerns and Terrorism Issue
भारत ने SAARC पर दी प्रतिक्रिया, बांग्लादेश के साथ बैठक में आतंकवाद पर कड़ा संदेश
AIN NEWS 1 दिल्ली: विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने पुष्टि की है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) का मुद्दा हाल ही में मस्कट में हुई भारत-बांग्लादेश बैठक में उठाया गया था। यह बैठक भारतीय विदेश मंत्री (EAM) और बांग्लादेश के विदेश सलाहकार के बीच आयोजित हुई थी।
बैठक में SAARC का मुद्दा क्यों उठा?
बांग्लादेश ने इस बैठक के दौरान SAARC की स्थिति पर चर्चा की और इसके पुनः सक्रिय होने की संभावनाओं को लेकर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया। बांग्लादेश का मानना है कि SAARC एक महत्वपूर्ण मंच है, जिससे दक्षिण एशिया के देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है।
भारत का स्पष्ट रुख
रणधीर जैसवाल ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा कि भारत ने साफ कर दिया है कि पूरे दक्षिण एशिया को पता है कि SAARC को रोकने के लिए कौन-सा देश और किन गतिविधियों के कारण जिम्मेदार है। हाल के वर्षों में SAARC की बैठकों और सहयोग की गति धीमी हो गई है, जिसका मुख्य कारण क्षेत्र में आतंकवाद और अस्थिरता से जुड़ी चुनौतियाँ हैं।
आतंकवाद पर भारत का कड़ा संदेश
विदेश मंत्री ने बांग्लादेश के विदेश सलाहकार से स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद को किसी भी स्थिति में सामान्य नहीं बनाया जाना चाहिए। भारत ने संकेत दिया कि जब तक क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित नहीं होती, तब तक सहयोग संगठन प्रभावी ढंग से कार्य नहीं कर सकता।
SAARC को बाधित करने वाला देश कौन?
भारत लंबे समय से इस बात पर जोर देता आ रहा है कि पाकिस्तान के समर्थन से होने वाली आतंकवादी गतिविधियाँ SAARC के सुचारू संचालन में सबसे बड़ी बाधा हैं। कई बार भारत ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया है और पाकिस्तान को क्षेत्रीय आतंकवाद को समर्थन देने के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर
भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत हैं और दोनों देश कई क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं। हालाँकि, SAARC को लेकर बांग्लादेश की रुचि और भारत की स्पष्ट स्थिति इस बात को दर्शाती है कि क्षेत्रीय सहयोग की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए आतंकवाद को रोकना अनिवार्य है।
SAARC का भविष्य क्या होगा?
अगर क्षेत्रीय आतंकवाद की समस्या का समाधान नहीं निकला, तो SAARC का प्रभावी संचालन संभव नहीं होगा। भारत और अन्य देशों का रुख इस बात पर निर्भर करेगा कि क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ या नहीं।
इस बैठक से स्पष्ट होता है कि भारत अपने क्षेत्रीय नीति और विदेश संबंधों को लेकर दृढ़ है। भारत का मानना है कि जब तक आतंकवाद की समस्या हल नहीं होती, तब तक SAARC को सक्रिय करने के प्रयास व्यर्थ होंगे। बांग्लादेश की चिंता के बावजूद, भारत ने अपने रुख को स्पष्ट करते हुए क्षेत्रीय स्थिरता को प्राथमिकता देने का संकेत दिया है।
During an External Affairs meeting in Muscat, Bangladesh raised concerns regarding the SAARC issue. MEA spokesperson Randhir Jaiswal stated that India reiterated its stand on the matter, emphasizing that terrorism must not be normalized. India pointed out that everyone in South Asia is aware of which country is responsible for obstructing SAARC’s progress. This discussion highlights India’s foreign policy stance on regional cooperation and security.