AIN NEWS 1 | यूरोपीय संघ (EU) की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने 4 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की। इस वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) प्रमुख रहा। बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यूक्रेन युद्ध था, जहां उर्सुला ने साफ कहा कि “शांति स्थापित करने में भारत की भूमिका बेहद अहम है।”
शांति के प्रयासों में भारत की अहमियत
यूक्रेन और रूस के बीच जारी संघर्ष को लेकर यूरोपीय संघ लंबे समय से चिंतित है। उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने जोर देकर कहा कि यह युद्ध केवल यूरोप तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर पूरी दुनिया की आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता पर पड़ रहा है।
उन्होंने एक्स (X) पर लिखा,
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करके खुशी हुई। हम भारत के यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ जुड़ाव का स्वागत करते हैं। रूस के आक्रमक युद्ध को रोकने और शांति स्थापित करने में भारत की भूमिका बेहद जरूरी है।”
यूरोपीय संघ का मानना है कि भारत का कूटनीतिक संतुलन और वैश्विक प्रभाव इस युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों में अहम साबित हो सकता है।
भारत-EU संबंधों पर चर्चा
पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) द्वारा जारी बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने व्यापार, टेक्नोलॉजी, निवेश, डिफेंस, सिक्योरिटी और सप्लाई चैन जैसे अहम क्षेत्रों में हो रही प्रगति का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री मोदी और उर्सुला ने मिलकर FTA वार्ता को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने की प्रतिबद्धता दोहराई। इस समझौते को भारत और यूरोपीय संघ दोनों देशों की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक व्यापारिक साझेदारी के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत-EU FTA की स्थिति
भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चर्चा पिछले कई सालों से चल रही है।
2013 में बाजार में पहुंच को लेकर मतभेदों की वजह से यह प्रक्रिया रोक दी गई थी।
जून 2022 में आठ साल बाद इस वार्ता को फिर से शुरू किया गया।
अब 8 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में 13वां दौर शुरू होने जा रहा है।
इससे पहले इस साल की शुरुआत में ब्रुसेल्स (Belgium) में बातचीत हुई थी। दोनों पक्ष इस बार ठोस नतीजे की उम्मीद कर रहे हैं।
एंटोनियो कोस्टा से भी बातचीत
प्रधानमंत्री मोदी ने यूरोपीय संघ के शीर्ष नेता एंटोनियो कोस्टा से भी अलग से चर्चा की। इस वार्ता में अगला भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन भारत में जल्द आयोजित करने पर सहमति बनी। पीएम मोदी ने दोनों नेताओं को भारत आमंत्रित किया।
क्यों है भारत की भूमिका खास?
तटस्थ रुख – भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध में किसी भी पक्ष का खुलकर समर्थन नहीं किया है।
वैश्विक प्रभाव – भारत वर्तमान में G20 जैसे बड़े मंचों पर सक्रिय है।
कूटनीतिक ताकत – भारत ने कई बार मध्यस्थता और शांति वार्ता की पेशकश की है।
आर्थिक साझेदारी – भारत और यूरोपीय संघ के बीच बढ़ता व्यापार इस संबंध को और मजबूती देता है।
यही कारण है कि यूरोपीय संघ को उम्मीद है कि भारत वैश्विक मंच पर एक शांति-दूत की तरह काम कर सकता है।
वैश्विक चिंता क्यों है यूक्रेन युद्ध?
युद्ध ने ऊर्जा संकट पैदा कर दिया है, जिसका असर एशिया और यूरोप दोनों जगह देखा जा रहा है।
सप्लाई चैन में रुकावट से दुनिया भर में महंगाई बढ़ी है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है।
लगातार बढ़ता संघर्ष सुरक्षा चुनौतियों को भी जन्म दे रहा है।
यूरोपीय संघ का मानना है कि इस संकट का समाधान केवल बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से ही संभव है।
भारत और यूरोपीय संघ के बीच यह फोन कॉल सिर्फ एक राजनयिक बातचीत नहीं, बल्कि वैश्विक शांति प्रयासों और आर्थिक साझेदारी का हिस्सा है। जहां एक ओर भारत-EU FTA दोनों पक्षों के लिए नए अवसर खोलेगा, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए भारत की सक्रिय भागीदारी वैश्विक राजनीति में उसकी बढ़ती ताकत को दर्शाती है।
अब सबकी नजरें 8 सितंबर को होने वाली FTA वार्ता और भारत के कूटनीतिक कदमों पर टिकी हैं, जो आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों की दिशा तय कर सकते हैं।