AIN NEWS 1 | नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शुक्रवार को स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि के मूल सिद्धांतों—मित्रता और सद्भावना—का उल्लंघन किया है, इसलिए भारत का इस संधि को स्थगित करना स्वाभाविक और तर्कसंगत है।
🔎 भारत का पक्ष: तकनीकी और रणनीतिक बदलाव ज़रूरी
विदेश मंत्रालय ने 24 मई को संसदीय समिति को जानकारी दी कि जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियरों के पिघलने और इंजीनियरिंग तकनीकों में बदलाव ने सिंधु जल संधि की शर्तों की दोबारा समीक्षा करना अनिवार्य बना दिया है।
सूत्रों के अनुसार, भारत का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल अब 33 देशों की यात्रा करेगा, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस फैसले को सही ठहराया जा सके।
🧑🌾 पाकिस्तान की चिंता: ‘भूखे मर सकते हैं’
पाकिस्तानी सांसद सैयद अली जफर ने चिंता जताते हुए कहा,
“अगर ये पानी का मुद्दा हल नहीं हुआ तो हम भूखे मर जाएंगे। हमारी 90% फसलें इसी पानी पर निर्भर हैं और इंडस बेसिन हमारी जीवन रेखा है।”
पाकिस्तान को मिलने वाला पानी तीन चौथाई हिस्से में भारत से आता है, जिससे वहां की कृषि और जीवनशैली गहराई से जुड़ी हुई है।
💬 विक्रम मिसरी का कड़ा संदेश
विदेश सचिव मिसरी ने कहा:
“1960 की संधि की प्रस्तावना में इसे सद्भावना और मित्रता के तहत किया गया बताया गया है। लेकिन अब पाकिस्तान ने इन सभी सिद्धांतों को खत्म कर दिया है।”
💰 रक्षा बजट पर असर नहीं
सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और रणनीतिक कदमों के बावजूद फिलहाल अतिरिक्त रक्षा बजट की जरूरत नहीं लग रही है, क्योंकि मौजूदा बजट को पर्याप्त माना गया है।
India has officially suspended the Indus Waters Treaty with Pakistan, citing repeated violations of its core principles—friendship and goodwill—by Pakistan. Foreign Secretary Vikram Misri stated that recent terror attacks and changes in climate and engineering realities justify the move. A delegation from India is touring 33 countries to explain the rationale behind this decision. Meanwhile, Pakistan warns that over 90% of its crops depend on Indus waters and a shortage could lead to mass starvation.