AIN NEWS 1 | भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापारिक तनातनी अब गहराती जा रही है। जहां एक ओर दोनों देश अपने रिश्तों को मजबूत करने की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर हालिया घटनाओं ने इन संबंधों को दशकों में सबसे निचले स्तर तक पहुंचा दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने का संकेत दिया है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था और खासकर निर्यातक वर्ग पर भारी दबाव बनने वाला है।
छठा दौर स्थगित – भारत को बड़ा झटका
भारत और अमेरिका के बीच अब तक पांच दौर की ट्रेड डील वार्ता हो चुकी है। छठे दौर की बातचीत 25 से 29 अगस्त 2025 तक दिल्ली में प्रस्तावित थी, लेकिन इसे अचानक स्थगित कर दिया गया। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का दौरा टलने से भारत को झटका लगा है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह बैठक आगे के किसी समय पर रीशेड्यूल की जाएगी, लेकिन अभी इसकी कोई तय तारीख नहीं दी गई है।
यह देरी भारत के लिए इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि 27 अगस्त से अमेरिका द्वारा लगाया गया 25% पेनाल्टी टैरिफ लागू होने जा रहा है। पहले से ही 25% बेसिक टैरिफ लागू है, और अब यह बढ़कर कुल 50% हो जाएगा। इसका सीधा असर भारत से अमेरिका जाने वाले निर्यात पर पड़ेगा।
अमेरिकी दबाव – कृषि और डेयरी सेक्टर पर
अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि और डेयरी बाजार को अमेरिकी कंपनियों के लिए खोले। उनका मानना है कि भारतीय बाजार में अमेरिकी दूध, चीज़ और कृषि उत्पादों की भारी मांग हो सकती है। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसानों के हितों से समझौता नहीं करेगा।
भारत कृषि प्रधान देश है और यदि अमेरिकी कंपनियों को इस सेक्टर में पूरी छूट मिलती है, तो भारतीय किसानों की आय पर गहरा असर पड़ेगा। इससे न सिर्फ लाखों किसानों का भविष्य प्रभावित होगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी डगमगा सकती है। यही वजह है कि भारत अब तक इस मांग को स्वीकार करने से इंकार करता आ रहा है।
व्यापारिक रिश्तों का इतिहास और भविष्य
भारत और अमेरिका लंबे समय से बड़े पैमाने पर व्यापारिक साझेदार रहे हैं। फिलहाल दोनों देशों के बीच सालाना करीब 191 अरब डॉलर का व्यापार होता है। दोनों देशों ने मिलकर 2030 तक इसे 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
योजना यह भी थी कि 2025 के सितंबर-अक्टूबर तक ट्रेड डील के पहले चरण को पूरा कर लिया जाए, लेकिन अब हालात देखकर लगता है कि यह लक्ष्य और दूर खिसक सकता है।
टैरिफ का असर – भारतीय उद्योग पर दबाव
7 अगस्त से अमेरिका ने भारत पर पहले ही 25% टैरिफ लगा रखा है। अब 27 अगस्त से अतिरिक्त 25% दंडात्मक टैरिफ लागू होगा। अमेरिका का कहना है कि रूस से कच्चा तेल और सैन्य उपकरण खरीदने के कारण यह सज़ा दी जा रही है।
इन टैरिफ का असर भारत के स्टील, टेक्सटाइल, फार्मा और केमिकल निर्यात पर पड़ेगा। वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी जैसे आयातित सामान भी महंगे हो जाएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका असर भारत के छोटे और मध्यम उद्योगों (SMEs) पर सबसे ज्यादा होगा, क्योंकि ये सेक्टर अमेरिका को सबसे ज्यादा निर्यात करते हैं।
भारत-अमेरिका व्यापारिक आंकड़े
भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच भारत का अमेरिका को निर्यात 21.64% बढ़कर 33.53 अरब डॉलर तक पहुंच गया। वहीं, इस दौरान अमेरिका से आयात 12.33% बढ़कर 17.41 अरब डॉलर रहा। इस आंकड़े से साफ है कि भारत के लिए अमेरिका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है।
लेकिन अगर टैरिफ 50% तक बढ़ा दिया गया, तो भारतीय निर्यातकों की लागत दोगुनी हो जाएगी और अमेरिकी बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धा कमजोर पड़ जाएगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव
भारत इस समय पहले से ही वैश्विक आर्थिक मंदी और बढ़ते आयात बिल का सामना कर रहा है। ऐसे में अमेरिका का यह फैसला डॉलर-रुपया विनिमय दर, विदेशी निवेश और औद्योगिक उत्पादन पर असर डाल सकता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह विवाद जल्द नहीं सुलझा, तो भारत को नए व्यापारिक साझेदार खोजने पड़ सकते हैं। यूरोपीय यूनियन, ASEAN और अफ्रीकी देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिशें पहले से चल रही हैं, लेकिन अमेरिका जैसे बड़े बाजार की भरपाई करना आसान नहीं होगा।
राजनीतिक और कूटनीतिक असर
यह व्यापारिक विवाद केवल आर्थिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक रिश्तों को भी प्रभावित कर रहा है। भारत और अमेरिका ने रक्षा, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में कई समझौते किए हैं। लेकिन अगर व्यापारिक तनाव और बढ़ता है, तो इसका असर इन साझेदारियों पर भी पड़ सकता है।
भारत सरकार कोशिश कर रही है कि इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाया जाए, लेकिन फिलहाल अमेरिकी रुख सख्त दिखाई दे रहा है।
The India-US trade deal has hit a major roadblock as the 6th round of negotiations has been postponed. With the US imposing a 50 percent tariff on Indian exports, the future of bilateral trade relations looks uncertain. The dispute, mainly over agriculture and dairy market access, threatens to impact India’s exports of steel, textiles, and pharmaceuticals, while also affecting imports. As India remains America’s largest trading partner with over $191 billion trade in 2025, this tariff war could reshape the global trade landscape.



















