India Opens Salal and Baglihar Dam Gates: Pakistan Faces Major Flood Threat
भारत की जलनीति से पाकिस्तान पर बाढ़ का खतरा, सलाल और बगलिहार डैम के गेट खुले
AIN NEWS 1: पाकिस्तान के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। भारत ने सिंधु जल संधि को रद्द करने के बाद अब जलनीति के तहत बड़ा कदम उठाया है। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में स्थित चिनाब नदी पर बने सलाल डैम के तीन गेट खोल दिए गए हैं। इसके साथ ही बगलिहार डैम से भी पानी छोड़ा गया है। इन कदमों से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) और पंजाब प्रांत में बाढ़ की आशंका बढ़ गई है।
भारत की जलनीति में बड़ा बदलाव
सालों से भारत सिंधु जल संधि के तहत पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का पानी पाकिस्तान को जाने देता रहा है। लेकिन उरी और पुलवामा जैसे आतंकी हमलों के बाद से भारत में यह मांग उठने लगी थी कि पाकिस्तान को मिलने वाले पानी पर रोक लगाई जाए। फरवरी 2025 में भारत ने आखिरकार सिंधु जल संधि को रद्द करने की घोषणा की थी। यह फैसला पाकिस्तान के खिलाफ एक कूटनीतिक और रणनीतिक दबाव का हिस्सा माना जा रहा है।
सलाल और बगलिहार डैम की भूमिका
सलाल डैम चिनाब नदी पर बना पहला प्रमुख हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट है। इसका निर्माण 1970 के दशक में हुआ था। बगलिहार डैम, जिसे बगलिहार हाइड्रो प्रोजेक्ट भी कहा जाता है, डोडा जिले में स्थित है और यह भी चिनाब नदी पर बना है। इन दोनों बांधों के जरिये भारत चिनाब का पानी रोकने या छोड़ने की क्षमता रखता है।
पिछले कुछ समय से भारत ने इन बांधों के गेट बंद रखकर पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोका हुआ था। अब गेट खोलने का सीधा मतलब है कि एक बार में बड़ी मात्रा में पानी पाकिस्तान की ओर जाएगा।
PoK में बाढ़ का खतरा
सलाल और बगलिहार डैम से छोड़ा गया पानी सीधे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) की ओर बहता है। वहां की नदियों और जल निकासी प्रणालियों की स्थिति पहले से ही कमजोर है। भारत द्वारा अचानक छोड़े गए पानी से उन इलाकों में बाढ़ आने की प्रबल आशंका है। विशेषकर मुजफ्फराबाद, कोटली और मीरपुर जैसे शहर खतरे की जद में हैं।
पाकिस्तान में मचा हड़कंप
पाकिस्तान की मीडिया और प्रशासन में इस घटनाक्रम को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। इस्लामाबाद ने आपातकालीन बैठक बुलाई है और PoK में अलर्ट जारी कर दिया गया है। जल संसाधन और आपदा प्रबंधन विभागों को तैयारी के निर्देश दिए गए हैं।
पाकिस्तान पहले भी यह आरोप लगाता रहा है कि भारत जल को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। अब जबकि भारत ने संधि रद्द करके डैम से पानी छोड़ना शुरू कर दिया है, यह आरोप और भी मजबूत होते नजर आ रहे हैं।
भारत का पक्ष
भारत का कहना है कि वह अपने अधिकार का उपयोग कर रहा है। सिंधु जल संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों (सतलुज, रावी, ब्यास) का पूरा पानी और पश्चिमी नदियों का सीमित उपयोग करने का अधिकार था। अब जब संधि रद्द कर दी गई है, तो भारत पर कोई अंतरराष्ट्रीय बाध्यता नहीं है कि वह पाकिस्तान को पानी दे। भारत ने यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक संसाधनों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया है।
राजनीतिक और सामरिक असर
भारत का यह कदम केवल जल नीति का हिस्सा नहीं, बल्कि पाकिस्तान पर एक प्रकार का दबाव बनाने का तरीका भी है। यह उस नीति की झलक है, जहां भारत अब केवल कूटनीति से नहीं, बल्कि संसाधनों के इस्तेमाल से भी जवाब दे रहा है। इससे पाकिस्तान को यह संदेश जाता है कि आतंकवाद और सीमा पार हिंसा की कीमत उसे नदियों के बहाव के रूप में भी चुकानी पड़ सकती है।
भारत की यह रणनीति पाकिस्तान के लिए एक बड़ा संकेत है कि अब जल जैसे प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल भी राष्ट्रीय हित में किया जाएगा। सलाल और बगलिहार डैम से पानी छोड़ना न केवल एक तकनीकी या पर्यावरणीय फैसला है, बल्कि यह भारत की नई विदेश नीति और सामरिक सोच का प्रतीक है। आने वाले दिनों में इस निर्णय के राजनीतिक, पर्यावरणीय और मानवीय असर पर नज़र रखना बेहद जरूरी होगा।
India has escalated its water policy by opening the gates of the Salal and Baglihar dams on the Chenab River, following the revocation of the Indus Waters Treaty. This strategic water strike raises the flood threat in Pakistan-occupied Kashmir (PoK), triggering serious concerns in Islamabad. The release of water, which was earlier being withheld, is now flowing towards Pakistan, significantly intensifying the India-Pakistan river dispute and highlighting India’s new aggressive stance on water management.