AIN NEWS 1 नई दिल्ली: भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने आज बांग्लादेश सेना के प्रमुख जनरल वाकर-उज-ज़मां के साथ वीडियो टेली-कॉल के माध्यम से बातचीत की। इस बैठक में दोनों सेनाओं के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग और आपसी हितों से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। भारतीय सेना के प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी दी।
दोनों सेनाओं के प्रमुखों ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने आपसी सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारतीय और बांग्लादेशी सेनाओं के बीच पारंपरिक दोस्ताना संबंध रहे हैं, और दोनों देशों के बीच समन्वय और सहयोग बढ़ाने की कोशिशें लगातार जारी हैं।
द्विपक्षीय सैन्य संबंधों में वृद्धि
भारतीय सेना और बांग्लादेशी सेना के बीच लगातार सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण, और विभिन्न संयुक्त कार्यक्रमों का आयोजन होता रहा है। इस बातचीत के दौरान, जनरल द्विवेदी और जनरल वाकर-उज-ज़मां ने आगामी कार्यक्रमों और संयुक्त सैन्य अभियानों को लेकर अपनी रणनीतियों पर भी विचार किया। दोनों देशों के सेना प्रमुखों ने एक दूसरे की सेनाओं की प्रशिक्षण प्रक्रियाओं को समझने और सुधारने की आवश्यकता पर चर्चा की।
आतंकी गतिविधियों और सीमा सुरक्षा पर जोर
इस बैठक में आतंकवाद और सीमा सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी बात की गई। दोनों देशों ने सीमा पार आतंकवाद को गंभीर चुनौती माना और इससे निपटने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित किया। भारतीय सेना और बांग्लादेशी सेना ने साझा सुरक्षा मुद्दों पर विचार करते हुए अपनी रणनीतियों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आपसी सहयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लिया।
भविष्य में और अधिक सहयोग की संभावना
जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और जनरल वाकर-उज-ज़मां ने इस मुलाकात को एक नई दिशा की शुरुआत मानते हुए भविष्य में दोनों सेनाओं के बीच और अधिक सहयोग की संभावना पर चर्चा की। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में तकनीकी, रणनीतिक, और मानव संसाधन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता जताई, ताकि दोनों देशों की सेनाओं को और अधिक मजबूत किया जा सके।
निष्कर्ष
यह संवाद भारतीय सेना और बांग्लादेशी सेना के बीच सकारात्मक और मजबूत संबंधों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की बातचीत दोनों देशों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है, और भविष्य में दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग में और प्रगति की संभावना है।