AIN NEWS 1 नई दिल्ली। लोकसभा में बैंकिंग संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा के बयान ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया। पात्रा ने 1971 की एक घटना का जिक्र करते हुए दावा किया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की संसद मार्ग शाखा को फोन करके एक व्यक्ति को 60 लाख रुपए देने का निर्देश दिया था।
क्या कहा संबित पात्रा ने?
संबित पात्रा ने कहा, “1971 में फोन बैंकिंग होती थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एसबीआई की शाखा को फोन कर 60 लाख रुपए नगरवाला नामक व्यक्ति को देने का आदेश दिया था।” उनके इस बयान के बाद लोकसभा में विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
संसद में हंगामा
पात्रा के इस बयान पर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने इसे इंदिरा गांधी का अपमान करार दिया और कहा कि इस तरह की बयानबाजी ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश है। उन्होंने सरकार और संबित पात्रा से इस बयान के लिए माफी मांगने की मांग की।
क्या है नगरवाला मामला?
1971 का ‘नगरवाला केस’ भारतीय राजनीति और बैंकिंग इतिहास में एक विवादित घटना के रूप में जाना जाता है। आरोप है कि एसबीआई की संसद मार्ग शाखा से 60 लाख रुपए एक व्यक्ति को दिए गए थे, जिसने खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का अधिकारी बताया था। कहा जाता है कि उसने इंदिरा गांधी का नाम लेकर फोन किया था। हालांकि, इस मामले की जांच में कई सवाल अनुत्तरित रहे और इसे एक रहस्यमयी घटना माना गया।
विपक्ष का आरोप
विपक्ष का कहना है कि सरकार ऐसे बयानों के जरिए इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने और दिवंगत नेताओं की छवि धूमिल करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस सांसदों ने इस मुद्दे पर संसद में जमकर हंगामा किया और बयान को वापस लेने की मांग की।
सरकार का पक्ष
भाजपा ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि पात्रा ने सिर्फ ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र किया है और उनका इरादा किसी का अपमान करना नहीं था। बीजेपी नेताओं ने विपक्ष के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया।
निष्कर्ष
संबित पात्रा के इस बयान ने लोकसभा में तीखी बहस छेड़ दी है। 1971 की घटना का संदर्भ देते हुए उन्होंने जिस तरह से इंदिरा गांधी के कथित फोन कॉल का उल्लेख किया, वह न केवल विवादों को जन्म देता है बल्कि अतीत के अनसुलझे सवालों को भी उजागर करता है।