AIN NEWS 1 | ईरान में हिजाब पहनने के नियम का उल्लंघन करने वाली महिलाओं के लिए सरकार ने एक नई योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत, देशभर में ‘हिजाब रिमूवल ट्रीटमेंट क्लीनिक’ खोले जाएंगे, जहां उन महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य के नाम पर इलाज किया जाएगा जो हिजाब पहनने का विरोध करती हैं।
क्या है हिजाब रिमूवल ट्रीटमेंट क्लीनिक?
- महिला और परिवार विभाग की हेड मेहरी तालेबी दारेस्तानी ने कहा कि यह पहल महिलाओं को वैज्ञानिक तरीके से हिजाब पहनने के लिए प्रेरित करेगी।
- इन क्लीनिकों का उद्देश्य हिजाब के प्रति विरोध रखने वाली महिलाओं का साइंटिफिक ट्रीटमेंट करना है ताकि उन्हें समाज के नियमों के अनुरूप ढाला जा सके।
- सरकार का दावा है कि ये क्लीनिक वैकल्पिक होंगे, यानी इसमें किसी को जबरदस्ती नहीं लाया जाएगा।
महसा अमीनी केस के बाद बढ़ा विरोध
- 2022-23 में महसा अमीनी की मौत के बाद से ईरान में हिजाब विरोध प्रदर्शनों ने जोर पकड़ा। महसा को मॉरल पुलिस ने हिजाब न पहनने पर हिरासत में लिया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी।
- इस घटना के बाद ईरान की महिलाओं ने सड़कों पर उतरकर हिजाब के खिलाफ विरोध जताया।
- हाल ही में एक ईरानी छात्रा का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह कपड़े उतारकर सिर्फ अंडरवियर में यूनिवर्सिटी में घूम रही थी, विरोध के प्रतीक के रूप में।
क्लीनिक या जेल?
- समाजिक कार्यकर्ताओं और ह्यूमन राइट्स एडवोकेट्स का कहना है कि ये क्लीनिक वास्तव में जेल जैसा हो सकता है, जहां महिलाओं को मजबूर किया जा सकता है।
- ईरान के मानवाधिकार वकील हुसैन रईसी ने कहा कि हिजाब न पहनने पर किसी महिला को इलाज के नाम पर क्लीनिक भेजना न तो इस्लामिक है और न ही ईरानी कानून के अनुसार सही है।
- आलोचकों का मानना है कि सरकार इसे एक प्रेशर टैक्टिक के रूप में इस्तेमाल करेगी ताकि महिलाओं को जबरदस्ती हिजाब पहनने पर मजबूर किया जा सके।
सरकार के इस कदम पर आलोचना
- ईरान में कई समाजिक कार्यकर्ताओं ने इस योजना की कड़ी निंदा की है, इसे महिलाओं के खिलाफ एक और दमनकारी कदम बताया है।
- इस योजना को लेकर देश में और भी विरोध प्रदर्शन होने की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि महिलाओं के अधिकारों पर पहले से ही अत्यधिक पाबंदियाँ हैं।
निष्कर्ष
ईरान की यह नई योजना अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी विवाद का कारण बन सकती है। महिलाओं को उनके ड्रेस कोड को लेकर सुधारने के नाम पर मानसिक स्वास्थ्य क्लीनिक में भेजने की यह पहल मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। सवाल यह है कि क्या यह कदम महिलाओं को दबाने के लिए एक नया हथियार बन जाएगा, या सरकार इसे सुधारात्मक प्रक्रिया के रूप में सफल कर पाएगी?
आपकी राय में, क्या ईरान का यह कदम महिलाओं की आज़ादी पर अंकुश लगाने की कोशिश है या समाज में अनुशासन लाने का प्रयास?