इसरो का स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) इतिहास रचने के क़रीब पहुंच गया है। रविवार, 12 जनवरी को भेजे गए दो उपग्रहों, एसडीएक्स 01 (चेजर) और एसडीएक्स 02 (टारगेट), ने एक-दूसरे के करीब पहुंचकर तीन मीटर की दूरी तय की। इसरो ने जानकारी दी कि दोनों उपग्रह अब डॉकिंग के लिए एक दूसरे के नजदीक लाए गए हैं और वर्तमान में अच्छे हालात में हैं।
डॉकिंग की प्रक्रिया की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
इस दौरान दोनों उपग्रहों ने शानदार फोटो और वीडियो भी लिए। इसरो ने बताया कि पहले दोनों उपग्रहों को 15 मीटर और फिर 3 मीटर तक एक-दूसरे के करीब लाने का परीक्षण किया गया। अब इन उपग्रहों को सुरक्षित दूरी पर वापस लिया जा रहा है। इसके बाद पहला डेटा विश्लेषण किया जाएगा, और फिर डॉकिंग प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।
सोशल मीडिया पर इसरो की अपडेट
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी दी, “हम एक-दूसरे को 15 मीटर की दूरी से साफ देख सकते हैं। अब हम डॉकिंग के लिए केवल 50 फीट दूर हैं।” इस मिशन का उद्देश्य छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक प्रदर्शित करना है।
स्पैडेक्स मिशन का पिछला इतिहास
स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) के लिए इसरो ने 30 दिसंबर को मिशन लॉन्च किया था। इस दौरान पीएसएलवी सी60 रॉकेट ने दो छोटे उपग्रहों एसडीएक्स 01 (चेजर) और एसडीएक्स 02 (टारगेट) को लेकर उड़ान भरी थी। उड़ान के 15 मिनट बाद ही इन दोनों उपग्रहों को 475 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में भेजा गया था। इन उपग्रहों का वजन 20 किलोग्राम था।
भारत बनेगा चौथा देश
यदि भारत इस मिशन में सफल होता है, तो वह स्पेस डॉकिंग तकनीकी में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा। यह एक्सपेरीमेंट आने वाले मिशनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जैसे कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के लिए। स्पेस डॉकिंग तकनीक तब आवश्यक होती है, जब कई रॉकेट लॉन्च करके मिशन के उद्देश्यों को पूरा करना होता है।
आगे क्या होगा?
इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि डॉकिंग के पहले प्रयास में कुछ और दिन लग सकते हैं। अब वे एक और परीक्षण करेंगे और इसके बाद डॉकिंग की प्रक्रिया पूरी करेंगे, जिससे भारत अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया मील का पत्थर हासिल कर सकेगा।