AIN NEWS 1 | पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देश को चौंकाते हुए अचानक राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया। खास बात यह रही कि उन्होंने प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया और बिना पूर्व सूचना के रात में राष्ट्रपति भवन पहुंच गए। यह पूरी घटना न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल का कारण बनी, बल्कि इससे कई सवाल भी खड़े हो गए हैं।
अचानक पहुंच गए राष्ट्रपति भवन
धनखड़ ने राष्ट्रपति से मिलने के लिए कोई औपचारिक समय नहीं लिया था। आमतौर पर राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए पहले अपॉइंटमेंट लेना अनिवार्य होता है और उस मुलाकात की जानकारी राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों को पहले ही दे दी जाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। धनखड़ सोमवार रात करीब 9 बजे अचानक राष्ट्रपति भवन पहुंचे। उनकी इस अचानक मौजूदगी से वहां के स्टाफ भी हैरान रह गए। उन्हें यह भी नहीं पता था कि उपराष्ट्रपति क्यों आ रहे हैं।
प्रोटोकॉल तोड़कर राष्ट्रपति से की मुलाकात
जब धनखड़ राष्ट्रपति भवन पहुंचे, तो वह सुरक्षा और मुलाकात संबंधी सामान्य प्रक्रियाओं को नजरअंदाज करते हुए सीधे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने चले गए। उन्होंने वहां जाकर उन्हें अपने इस्तीफे की जानकारी दी और संविधान के तहत इस्तीफा सौंप दिया। इस मुलाकात के कुछ ही मिनट बाद यानी रात करीब 9:25 बजे आधिकारिक तौर पर देश को जानकारी दी गई कि उपराष्ट्रपति ने इस्तीफा दे दिया है।
इस्तीफे की वजह पर उठे सवाल
धनखड़ के अचानक दिए गए इस्तीफे को लेकर राजनीति में हलचल मच गई है। कई नेताओं और विशेषज्ञों ने इसे सरकार और धनखड़ के बीच के रिश्तों में आई खटास से जोड़कर देखा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने इस मुद्दे पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि धनखड़ ने अपने पद की सीमाएं लांघी थीं और सरकार को उन पर से भरोसा उठ गया था। इसी कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
संसद सत्र से पहले इस्तीफा, समय पर भी उठे सवाल
संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने ही वाला था और ऐसे समय में उपराष्ट्रपति का इस्तीफा देना एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा है। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं और संसद सत्र में उनकी भूमिका बेहद अहम मानी जाती है। ऐसे समय में उनका इस्तीफा देना न केवल औपचारिक प्रक्रिया से हटकर था, बल्कि इसके समय को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
उपराष्ट्रपति एन्क्लेव से विदाई
धनखड़ पिछले वर्ष अप्रैल में चर्च रोड स्थित ‘उपराष्ट्रपति एन्क्लेव’ में शिफ्ट हुए थे, जो सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के अंतर्गत नया बना था। उपराष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद अब उन्हें यह सरकारी आवास भी खाली करना होगा। लगभग 15 महीने तक उस निवास में रहने के बाद अब वह निजी जीवन की ओर लौटेंगे।
इस्तीफे से पहले की गतिविधियां बनी चर्चा का विषय
धनखड़ के इस्तीफे से पहले कई घटनाएं ऐसी हुईं, जिनसे यह अंदाजा लगाया जाने लगा था कि सब कुछ सामान्य नहीं है। हाल ही में संसद की कार्यवाही के दौरान उन्होंने कुछ मुद्दों पर स्वतंत्र रूप से अपनी राय व्यक्त की थी, जिसे सरकार के रुख से अलग माना गया। इसी को लेकर कई राजनीतिक जानकारों ने अनुमान लगाया था कि सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच अनबन चल रही है।
क्या इस्तीफे के पीछे राजनीतिक दबाव था?
धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब सरकार विपक्ष के निशाने पर है और संसद का सत्र शुरू होने वाला है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार नहीं चाहती थी कि सत्र के दौरान कोई असहमति या टकराव उत्पन्न हो। इसीलिए संभवतः उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया हो। हालांकि इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने धनखड़ के इस्तीफे को ‘संवैधानिक मर्यादाओं की उपेक्षा’ बताया है। कांग्रेस का कहना है कि अगर सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच कोई मतभेद थे, तो उसे संवैधानिक तरीके से सुलझाया जाना चाहिए था। चिदंबरम ने इस मामले में सीधा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अब उपराष्ट्रपति का पद भी स्वतंत्र नहीं रहा।
Former Vice President Jagdeep Dhankhar shocked the nation by submitting his resignation without prior notice, breaking the official protocol. He arrived at Rashtrapati Bhavan unannounced and handed over his resignation to President Droupadi Murmu just before the monsoon session of Parliament. The move sparked political debates, with senior Congress leader P. Chidambaram alleging that Dhankhar had crossed limits and lost the government’s trust. This unexpected resignation raises questions about internal conflicts between the Vice President and the ruling government.