AIN NEWS 1 जयपुर। राजस्थान के जयपुर-अजमेर हाईवे पर शुक्रवार सुबह एक बड़ा हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। एक ट्रक और एलपीजी गैस टैंकर की जोरदार भिड़ंत के बाद धमाका हुआ, जिसमें अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 35 लोग गंभीर रूप से झुलस गए हैं। हादसे की भयावहता इतनी थी कि पास के एक घर में भी आग लग गई।
क्या हुआ था हादसे में?
शुक्रवार सुबह जयपुर-अजमेर हाईवे पर एक ट्रक और एलपीजी गैस से भरे टैंकर के बीच जोरदार टक्कर हुई। इस टक्कर के बाद टैंकर में आग लग गई, जो धीरे-धीरे पूरे इलाके में फैल गई। हाईवे पर दौड़ रही कई गाड़ियां इस आग की चपेट में आ गईं। हादसे में घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
हादसे की वजहें: विशेषज्ञों की राय
यातायात नियमों की अनदेखी और खराब प्रबंधन:
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और भारत के सड़क सुरक्षा नेटवर्क के पूर्व सदस्य जॉर्ज चेरियन ने बताया कि इस तरह की दुर्घटनाएं खराब यातायात प्रबंधन और नियमों के पालन न करने के कारण होती हैं। उन्होंने कहा, “ट्रक और अन्य भारी वाहनों को हाईवे पर यू-टर्न लेने से रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए। हाईवे पर तेज गति से दौड़ती गाड़ियों को अचानक रोकना आसान नहीं होता। इससे टक्कर और हादसों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।”
सड़क सुरक्षा की कमी:
डॉ. प्रेरणा अरोड़ा सिंह, एक और सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ, ने कहा कि हादसे का स्थान सड़क सुरक्षा के बुनियादी मानकों से कोसों दूर था। उन्होंने बताया, “चौराहे पर हाईमास्ट लाइटिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे सर्दियों में दृश्यता बेहद कम हो जाती है। इसके अलावा, कट पर रेडियम, रिफ्लेक्टर या कोई सिग्नल मार्कर भी मौजूद नहीं था। चौराहे की चौड़ाई भी बेहद कम थी, जिससे वाहनों के बीच टकराव का खतरा और बढ़ गया।”
राजस्थान में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े
राजस्थान में सड़क हादसों की बढ़ती घटनाएं चिंताजनक हैं। जॉर्ज चेरियन ने बताया कि 2022 में राजस्थान में सड़क दुर्घटनाओं में 13% और मृतकों की संख्या में 11% का इजाफा हुआ।
2021 में 20,951 सड़क हादसे हुए थे, जो 2022 में बढ़कर 23,614 हो गए।
2023 में पूरे देश में हुई 1,73,000 सड़क दुर्घटनाओं में 55% मौतें केवल छह राज्यों में हुईं, जिनमें राजस्थान भी शामिल है।
सड़क सुरक्षा के लिए विशेषज्ञों की सिफारिशें
चेरियन ने सुझाव दिया कि राजस्थान में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए 2025 से 2030 तक व्यापक सड़क सुरक्षा अभियान चलाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बड़े वाहनों के लिए हाईवे पर विशेष लेन और कट के पास स्पष्ट संकेतक होने चाहिए। वहीं, डॉ. अरोड़ा सिंह ने हाईवे पर हाईमास्ट लाइटिंग, चौड़ी सड़कें और रेडियम मार्कर्स की व्यवस्था करने की सिफारिश की।
सरकार और पीएम मोदी का बयान
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपये और घायलों को 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी संवेदना व्यक्त करते हुए मृतकों के परिवारों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की।
क्या है आगे का रास्ता?
इस भयावह हादसे ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों के सख्त पालन की जरूरत को उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो इस तरह की घटनाएं भविष्य में भी होती रहेंगी।
जयपुर टैंकर हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि यातायात नियमों और सड़क सुरक्षा में लापरवाही का परिणाम है। सरकार, विशेषज्ञ और नागरिकों को मिलकर इस मुद्दे पर काम करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।