Saturday, December 21, 2024

गाजियाबाद में पत्रकार पंकज शर्मा पर हमला, मोबाइल लूटा – सुरक्षा पर उठे सवाल

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गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश – पत्रकारों पर बढ़ते हमलों के बीच हाल ही में गाजियाबाद जनपद में एक और चिंताजनक घटना सामने आई है। रोज़ाना टाइम्स के ब्यूरो चीफ पंकज शर्मा पर 5 अक्टूबर 2024 को अज्ञात गुंडों ने हमला कर दिया। इस हमले में न केवल पंकज शर्मा को गंभीर चोटें आईं, बल्कि उनका मोबाइल फोन भी लूट लिया गया।

हमले की घटना:

पंकज शर्मा के अनुसार, वह शाम 6 बजे के करीब आरडीसी स्थित महालक्ष्मी मॉल के पास अपने घर लौट रहे थे। तभी अचानक कुछ अज्ञात लोग उनके पास आए और उन पर हमला कर दिया। पंकज शर्मा ने बताया कि हमले के दौरान वह बुरी तरह घायल हो गए और बेसुध होकर जमीन पर गिर पड़े। उनके साथी मनोज प्रजापति ने घटना स्थल पर पहुंचकर स्थिति को देखा और तुरंत पुलिस को 112 पर कॉल कर मदद के लिए बुलाया।

पुलिस की निष्क्रियता:

घटना के बाद पंकज शर्मा ने थाना कवि नगर में छह अज्ञात अपराधियों के खिलाफ तहरीर दी है, लेकिन समाचार लिखे जाने तक पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। यह घटना गाजियाबाद में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। पिछले छह महीनों में कई पत्रकारों के साथ इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं, जो इस क्षेत्र में अपराध की बढ़ती दर की ओर इशारा करती हैं।

स्थानीय पत्रकारों की प्रतिक्रिया:

गाजियाबाद के स्थानीय पत्रकारों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और पुलिस प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि पत्रकारिता जैसे महत्वपूर्ण कार्य में लगे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। वे चाहते हैं कि ऐसे हमलों पर रोक लगाई जाए और पत्रकारों को बिना डर के काम करने की स्वतंत्रता मिले।

पत्रकारों की एकजुटता:

इस हमले के बाद, गाजियाबाद के पत्रकारों ने एकजुट होकर अपनी आवाज़ उठाने का फैसला किया है। वे प्रशासन से उचित कार्रवाई और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही, पत्रकारों ने एक बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है, जिसमें वे अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा करेंगे। उनका उद्देश्य है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

समाज में पत्रकारों की भूमिका:

पत्रकार समाज का आईना होते हैं, जो सच्चाई को उजागर करने का काम करते हैं। पंकज शर्मा जैसे पत्रकारों को अपने काम में स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, ताकि वे निर्भीक होकर समाज में हो रही घटनाओं को सामने ला सकें। ऐसे हमलों से उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ती है, जो न केवल व्यक्तिगत स्तर पर उन्हें प्रभावित करती है, बल्कि पूरी पत्रकारिता के लिए भी एक चुनौती है।

यह घटना एक बार फिर से यह सवाल उठाती है कि क्या पत्रकारों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है? प्रशासन को जल्द ही इस गंभीर समस्या का समाधान निकालना होगा।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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