AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक गंभीर प्रशासनिक विवाद सामने आया है, जिसमें कैराना की सांसद इकरा हसन ने सहारनपुर के अपर जिलाधिकारी (एडीएम) संतोष बहादुर सिंह पर अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया है। सांसद का कहना है कि उन्हें और छुटमलपुर नगर पंचायत की अध्यक्ष शमा परवीन को कार्यालय से बाहर निकलने तक को कह दिया गया।
घटनाक्रम कब और कैसे हुआ?
यह घटना 1 जुलाई की है। इकरा हसन, छुटमलपुर क्षेत्र की नगर पंचायत से जुड़ी कई समस्याओं को लेकर सहारनपुर के एडीएम से मिलने गई थीं। दोपहर करीब 1 बजे सांसद कार्यालय पहुंचीं और एडीएम से मुलाकात की इच्छा जताई। तब उन्हें बताया गया कि एडीएम लंच पर गए हैं और वे अपनी समस्या को पत्र के माध्यम से प्रस्तुत कर सकती हैं।
सांसद ने इसके बाद इंतजार किया और दोपहर 3 बजे नगर पंचायत अध्यक्षा शमा परवीन के साथ दोबारा एडीएम कार्यालय पहुंचीं, ताकि वे अपनी बात सीधे तौर पर रख सकें।
सांसद ने क्या आरोप लगाए?
सांसद इकरा हसन ने अपनी शिकायत में बताया कि जब वे और शमा परवीन एडीएम से मिलने उनके कक्ष में पहुंचीं, तब एडीएम संतोष बहादुर सिंह का रवैया अत्यंत अशोभनीय और अपमानजनक था।
सांसद का आरोप है कि एडीएम ने शमा परवीन को फटकार लगाई और जब उन्होंने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि “आप कम से कम जनता की समस्या तो सुन लें,” तो उन्होंने इकरा हसन से भी अभद्र भाषा में बात की और यहां तक कह दिया कि वे कार्यालय से बाहर चली जाएं।
राजनीतिक प्रतिनिधि का अपमान?
यह घटना केवल एक व्यक्तिगत असहमति नहीं मानी जा सकती क्योंकि इसमें एक लोकसभा सांसद और एक निर्वाचित नगर पंचायत अध्यक्षा के साथ एक वरिष्ठ अधिकारी का कथित दुर्व्यवहार शामिल है। जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का इस तरह से अपमानित किया जाना ना केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन है, बल्कि प्रशासनिक गरिमा पर भी सवाल खड़ा करता है।
औपचारिक शिकायत और जांच आदेश
सांसद ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी देते हुए एक लिखित शिकायत जिला प्रशासन को सौंपी है। इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त (कमिश्नर) ने जिलाधिकारी को इस पूरे मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं।
क्या है संभावित कार्रवाई?
फिलहाल इस मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशासन इस पर त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करता है। अगर जांच में सांसद के आरोपों की पुष्टि होती है, तो संबंधित एडीएम के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की उम्मीद की जा सकती है।
क्या कहता है जनप्रतिनिधित्व का सम्मान?
भारत के लोकतंत्र में चुने हुए जनप्रतिनिधियों को न केवल अधिकार हैं, बल्कि उनके माध्यम से जनता की आवाज़ प्रशासन तक पहुँचती है। ऐसे में यदि अधिकारीगण अभद्रता या तानाशाही भरा रवैया अपनाते हैं, तो यह पूरे लोकतांत्रिक ढांचे को नुकसान पहुंचा सकता है।
संवाद की संस्कृति ज़रूरी
यह घटना प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय की कमी को भी दर्शाती है। शासन और प्रशासन के बीच संवाद की संस्कृति को बढ़ावा देने की ज़रूरत है, ताकि जनहित के कार्य बाधित न हों
कैराना की सांसद इकरा हसन और छुटमलपुर नगर पंचायत की अध्यक्ष शमा परवीन के साथ सहारनपुर में हुई इस अभद्रता ने न केवल स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि राज्यभर में जनप्रतिनिधियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है। यह देखना अब जरूरी होगा कि जांच के बाद क्या निष्कर्ष निकलता है और क्या एडीएम के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया जाता है।
Kairana MP Iqra Hasan was allegedly mistreated by ADM Santosh Bahadur Singh during a meeting in Saharanpur regarding civic issues of Chhutmalpur Nagar Panchayat. The ADM reportedly used harsh language and even ordered MP Iqra Hasan and Chairperson Shama Parveen to leave the office. This incident has sparked political outrage, and a formal complaint has been submitted by the MP. The divisional commissioner has ordered an inquiry into the matter.