Kejriwal Government Accused of Corruption in Kanwar Pilgrim Services
कांवड़ियों की सेवा में भी भ्रष्टाचार? केजरीवाल सरकार पर गंभीर आरोप
AIN NEWS 1: दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर आरोपों का दौर शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नेता रेखा गुप्ता ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार पर कांवड़ियों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि हर साल कांवड़ यात्रा के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से कांवड़ियों की सेवा के लिए जो बजट पास किया जाता है, उसका सही तरीके से उपयोग नहीं किया जाता।
रेखा गुप्ता के अनुसार, सरकार की ओर से प्रत्येक कांवड़िये के लिए करीब 500 रुपये की राशि निर्धारित की जाती थी ताकि यात्रा के दौरान उन्हें भोजन, चिकित्सा और अन्य बुनियादी सुविधाएं दी जा सकें। लेकिन वास्तविकता यह रही कि यह रकम कांवड़ियों तक सिर्फ 100 रुपये ही पहुंचती थी, बाकी पैसा कथित रूप से बिचौलियों और भ्रष्ट अधिकारियों की जेब में चला जाता था।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली में पूरे कांवड़ सेवा के टेंडर सिर्फ 2-3 खास लोगों को ही दिए जाते थे, जिससे पारदर्शिता की पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े होते हैं। इसका मतलब ये है कि एक बड़ा हिस्सा ठेकेदारी में ही बंट जाता था, और जमीनी स्तर पर सेवा देने वालों या श्रद्धालुओं को इसका लाभ नहीं मिल पाता।
रेखा गुप्ता ने यह बात प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही और कहा कि अगर सरकार वाकई श्रद्धालुओं की सेवा करना चाहती है, तो उसे पारदर्शी व्यवस्था लागू करनी चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे पर जांच की मांग करते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा के नाम पर जनता के पैसे की बर्बादी और भ्रष्टाचार किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
दिल्ली सरकार की ओर से इस मामले में अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि भाजपा इस मुद्दे को लेकर आगामी कांवड़ यात्रा के समय राजनीतिक दबाव बढ़ा सकती है।
Delhi CM Arvind Kejriwal’s government is under fire over serious allegations of corruption in the Kanwar Yatra arrangements. As per BJP leader Rekha Gupta, only INR 100 out of the 500 allocated for each Kanwariya reached the actual devotees, while the rest allegedly went into corrupt hands. Tenders for Kanwar facilities were monopolized by 2-3 individuals, raising serious concerns about transparency and misuse of public funds in Kanwar pilgrim welfare.