AIN NEWS 1: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्र और जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के मुद्दों को उठाया है। केजरीवाल ने स्पष्ट किया कि वह इस पत्र को एक राजनीतिक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक चिंतित नागरिक के रूप में लिख रहे हैं।
पत्र का सारांश
केजरीवाल ने अपने पत्र में देश की राजनीतिक स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यदि बीजेपी की केंद्र सरकार इसी दिशा में आगे बढ़ती रही, तो इससे भारतीय लोकतंत्र और देश दोनों को नुकसान होगा। उनका मानना है कि पार्टियां, चुनाव और नेता आते-जाते रहेंगे, लेकिन भारत का अस्तित्व हमेशा बना रहना चाहिए। उन्होंने इस संदर्भ में जनता के मन में उठ रहे सवालों को मोहन भागवत के सामने रखा है।
पांच प्रमुख सवाल
1. सरकारों का गिरना: केजरीवाल ने पूछा कि क्या यह सही है कि देश में लालच और धमकी के जरिए चुनी हुई सरकारों को गिराया जा रहा है? क्या यह हमारे लोकतंत्र के लिए सही है?
2. भ्रष्ट नेताओं का स्वागत: उन्होंने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ नेताओं को भ्रष्ट घोषित किया और फिर कुछ समय बाद उन्हें बीजेपी में शामिल कर लिया। क्या यह सब देखकर RSS को कष्ट नहीं होता? क्या आपने कभी प्रधानमंत्री को इन गलत कार्यों से रोका?
3. RSS और बीजेपी का रिश्ता: केजरीवाल ने जेपी नड्डा के बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी को अब RSS की जरूरत नहीं है। उन्होंने पूछा कि क्या यह सही है कि एक बेटा अपनी मां को आंखें दिखाने लगा है?
4. 75 साल की उम्र का कानून: उन्होंने यह भी पूछा कि किस प्रकार 75 साल की उम्र का रिटायरमेंट कानून कई बीजेपी नेताओं पर लागू हुआ, लेकिन अब यह मोदी पर लागू नहीं होगा। क्या सभी के लिए कानून समान नहीं होना चाहिए?
5. जनता के सवाल: केजरीवाल ने अंत में कहा कि आज हर भारतवासी इन सवालों के बारे में सोच रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मोहन भागवत इन सवालों पर विचार करेंगे और जनता को जवाब देंगे।
निष्कर्ष
केजरीवाल का यह पत्र न केवल मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राजनीतिक स्थिति के बारे में आम जनता में क्या चिंताएँ हैं। उनका लक्ष्य भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करना और इसे बचाना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आरएसएस और बीजेपी के नेता इन सवालों पर गंभीरता से विचार करेंगे।