AIN NEWS 1 दिल्ली: केंद्रीय मंत्री शौभा करंडलाजे ने हाल ही में एक कार्यक्रम में महात्मा गांधी के स्वच्छता और खादी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गांधीजी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान स्वच्छता और खादी पहनने पर विशेष जोर दिया। उनका मानना है कि ये मूल्य आज भी हमारे समाज में प्रासंगिक हैं।
#WATCH | Delhi: Union Minister Shobha Karandlaje says, "… Mahatma Gandhi emphasised on cleanliness and wearing Khadi during the Indian freedom movement. He also promoted small-scale industries in the country… Youth have started wearing Khadi, it feels nice to see this… https://t.co/Nr5Y3andrK pic.twitter.com/5juvtFRoG3
— ANI (@ANI) October 2, 2024
स्वच्छता का महत्व
मंत्री ने कहा कि गांधीजी ने स्वच्छता को केवल एक आदत नहीं, बल्कि एक संस्कृति का हिस्सा माना। उनका मानना था कि स्वच्छता से न केवल व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि यह समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करती है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे स्वच्छता को अपनी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बनाएं।
खादी का पुनरुत्थान
शौभा करंडलाजे ने यह भी कहा कि खादी ने आज फिर से युवाओं में लोकप्रियता हासिल की है। उन्होंने कहा, “यह देखना अच्छा लगता है कि युवा खादी पहन रहे हैं। यह एक संकेत है कि हम अपने पारंपरिक मूल्यों की ओर लौट रहे हैं।” उनका मानना है कि खादी सिर्फ एक कपड़ा नहीं है, बल्कि यह हमारे देश की पहचान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
छोटे पैमाने के उद्योग
मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि महात्मा गांधी ने छोटे पैमाने के उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ये उद्योग हमारे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं और लोगों को रोजगार के अवसर देते हैं। शौभा करंडलाजे ने युवाओं को प्रेरित किया कि वे छोटे उद्योगों में भाग लेकर अपने भविष्य को संवारें।
युवा पीढ़ी की भूमिका
युवाओं की भूमिका पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी का खादी और स्वच्छता के प्रति बढ़ता रुझान हमारे समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। उन्होंने युवाओं से अनुरोध किया कि वे न केवल खुद खादी पहनें, बल्कि दूसरों को भी इसके महत्व के बारे में बताएं।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, शौभा करंडलाजे का यह संदेश हमें याद दिलाता है कि महात्मा गांधी के आदर्श आज भी हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। स्वच्छता, खादी और छोटे उद्योगों को बढ़ावा देकर हम न केवल अपनी व्यक्तिगत पहचान बना सकते हैं, बल्कि समाज के विकास में भी योगदान दे सकते हैं। युवा पीढ़ी के इस परिवर्तन को देखकर यह आशा की किरण बनती है कि हम अपने देश की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को जीवित रख सकेंगे।