AIN NEWS 1 | कनाडा में खालिस्तान समर्थक प्रदर्शन के दौरान ब्रैम्पटन स्थित हिंदू सभा मंदिर पर हुए हमले के मामले में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस घटना में शामिल कनाडाई पील पुलिस के अधिकारी हरिंदर सोही को जांच के बाद क्लीन चिट दे दी गई है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में सोही को खालिस्तानी झंडा लहराते हुए देखा गया था, जिससे सवाल उठे थे कि क्या वह भीड़ का हिस्सा थे या उन्हें उकसाने में शामिल थे।
क्या था पूरा मामला?
- घटना दीपावली के पहले सप्ताहांत के दौरान की है, जब खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारी ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में घुस गए।
- मंदिर में उस समय भारतीय उच्चायोग एक सार्वजनिक शिविर चला रहा था।
- पील पुलिस के सार्जेंट हरिंदर सोही को प्रदर्शनकारियों के बीच खालिस्तानी झंडा थामे देखा गया, जबकि भीड़ भारत विरोधी नारे लगा रही थी।
- इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए, जिनमें सोही को प्रदर्शनकारियों के साथ देखा गया।
पुलिस का बयान: सोही को क्यों मिली क्लीन चिट?
- पील पुलिस का कहना है कि वीडियो में दिखाई देने वाले अधिकारी डिसआर्मिंग (निहत्था करने) की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सोही एक ऐसे व्यक्ति को रोकने की कोशिश कर रहे थे जिसने अपना हथियार डालने से इनकार कर दिया था।
- पुलिस ने सोही की बॉडीकैम फुटेज भी जारी की, जिसमें वह एक आक्रामक व्यक्ति से छड़ी छीनने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं।
- पुलिस के मुताबिक, सोही ने अपने कर्तव्यों के वैध निष्पादन के तहत काम किया और भीड़ में हथियारबंद लोगों को निहत्था करने की कोशिश की।
सोशल मीडिया पर उठे सवाल
- सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में सोही को सादे कपड़ों में और ऑफ ड्यूटी देखा गया था, जिससे यह सवाल उठे कि वह उस समय ड्यूटी पर थे या नहीं।
- वीडियो में उन्हें खालिस्तानी झंडा लहराते हुए देखा गया, लेकिन पुलिस ने इसे डिसइन्फॉर्मेशन बताते हुए कहा कि वह भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे।
- उद्धव ठाकरे जैसे विपक्षी नेताओं ने भी इस पर सवाल उठाए, और इसे धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर कनाडाई सरकार की लापरवाही करार दिया।
भारतीय समुदाय की प्रतिक्रिया
- भारतीय समुदाय ने इस घटना की कड़ी निंदा की और कनाडा में हिंदू मंदिरों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की।
- भारतीय उच्चायोग ने कनाडाई अधिकारियों से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी।
- कई भारतीय संगठनों ने कनाडा में बढ़ते खालिस्तानी समर्थन पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।
निष्कर्ष
इस घटना ने कनाडा में भारतीय समुदाय और खालिस्तान समर्थकों के बीच तनाव को उजागर किया है। पुलिस अधिकारी हरिंदर सोही को क्लीन चिट मिलने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह जांच वाकई निष्पक्ष थी, या फिर इसे एक मजाक के रूप में देखा जाना चाहिए। कनाडा में इस तरह की घटनाएं बढ़ते हुए धार्मिक ध्रुवीकरण और सुरक्षा चिंताओं को दर्शाती हैं, जो आने वाले समय में भारत-कनाडा संबंधों पर भी असर डाल सकती हैं।
आपकी राय में, क्या पील पुलिस का निर्णय सही था, या इसे एक पूर्वाग्रहित जांच माना जाना चाहिए?