AIN NEWS 1 उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद देश की राजनीति में हलचल मच गई है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 21 जुलाई की शाम को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। हालांकि, विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस इस इस्तीफे को एक सामान्य घटना मानने को तैयार नहीं है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि यह मामला पूरी तरह से धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच का है और वही बेहतर तरीके से बता सकते हैं कि आखिर इसके पीछे क्या कारण था।
“सरकार के पक्ष में रहे धनखड़” – खरगे का आरोप
रविवार, 27 जुलाई 2025 को मीडिया से बातचीत करते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि जगदीप धनखड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में बार-बार सरकार का पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष जब भी किसी गंभीर मुद्दे को संसद में उठाने की कोशिश करता, तो उन्हें मौका नहीं दिया जाता था।
खरगे ने कहा, “जब हम किसानों की समस्या, महिलाओं और दलितों पर अत्याचार, या फिर धार्मिक झड़पों जैसे संवेदनशील मुद्दों को संसद में लाने का प्रयास करते, तो हमें नोटिस देने के बावजूद भी बोलने नहीं दिया जाता था।” उन्होंने सवाल किया कि क्या इन मुद्दों पर बोलने की वजह से ही धनखड़ को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया?
“धनखड़ का इस्तीफा केवल स्वास्थ्य कारणों से नहीं”
हालांकि जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य बताया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसके पीछे कुछ और ही वजहें बताई जा रही हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह इस्तीफा केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक दबाव और कुछ बड़े मुद्दे छिपे हुए हैं।
विपक्षी दलों को यह भी लगता है कि धनखड़ के इस्तीफे की टाइमिंग बहुत कुछ कहती है। यह ऐसे समय में हुआ है जब विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर सवाल उठा रहा है और कई अहम मुद्दों को राज्यसभा में उठाने की कोशिश कर रहा है।
“धनखड़ और मोदी के बीच क्या बात हुई, वही बता सकते हैं” – खरगे
जब मल्लिकार्जुन खरगे से पूछा गया कि उन्हें इस इस्तीफे की कोई जानकारी है या नहीं, तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “हमें नहीं पता कि क्या हुआ। यह पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जगदीप धनखड़ के बीच का मामला है। वही लोग बेहतर बता सकते हैं कि इस्तीफा क्यों दिया गया।”
उन्होंने आगे कहा कि जब विपक्ष गरीबों, महिलाओं, दलितों और वंचितों से जुड़े मुद्दों को उठाना चाहता है, तो उसे बार-बार रोका जाता है। “हमने हमेशा लोकतांत्रिक तरीके से मुद्दे उठाने की कोशिश की है, लेकिन हमें बार-बार दबाया गया,” उन्होंने कहा।
कर्नाटक कांग्रेस में भी बदलाव के संकेत
इसी दौरान मल्लिकार्जुन खरगे से कर्नाटक कांग्रेस इकाई में संभावित बदलावों को लेकर भी सवाल किया गया। उन्होंने इस पर सीधा जवाब देने से इनकार करते हुए कहा, “इस विषय पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, बाद में इस पर बात की जाएगी।”
गौरतलब है कि फिलहाल राज्य के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष पद पर भी कार्यरत हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के भीतर कुछ नेताओं की मांग है कि शिवकुमार को इन दो महत्वपूर्ण पदों में से किसी एक को छोड़ देना चाहिए।
धनखड़ का इस्तीफा भले ही स्वास्थ्य कारणों से बताया गया हो, लेकिन इसके पीछे की सच्चाई को लेकर अटकलें जारी हैं। कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खरगे का बयान यह साफ संकेत देता है कि विपक्ष इसे साधारण इस्तीफा नहीं मान रहा। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और राजनीतिक हलचल देखने को मिल सकती है।
Vice President Jagdeep Dhankhar’s resignation citing health reasons has sparked political debate across India. Congress President Mallikarjun Kharge questioned the real reason behind Dhankhar’s move, accusing him of favoring the government during his tenure. Kharge also raised concerns about the suppression of opposition voices in Rajya Sabha and wondered if Dhankhar was pressured to resign after speaking for farmers and marginalized communities. This controversy adds fresh tension between the opposition and Prime Minister Modi’s government ahead of crucial political decisions.