जानें आखिर क्यों थानों के अन्दर में क्यों बने हुए हैं मंदिरें, यूपी एसटीएफ के फाउंडर ने इस संबंध मे क्या कहा?

वैसे तो आप सभी ने ही अक्सर कई सारे थानों के अंदर ही बजरंगबली और भगवान शिव के मंदिर भी बनी हुई देखी ही होंगी.

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AIN NEWS 1 लखनऊ: वैसे तो आप सभी ने ही अक्सर कई सारे थानों के अंदर ही बजरंगबली और भगवान शिव के मंदिर भी बनी हुई देखी ही होंगी. और लोगों से यह कहते हुए भी सुना होगा कि थानों में ये मंदिरें अक्सर इसलिए होती हैं ताकि कोई भी फरियादी परेशान होकर के आए तो यहां पर अपना मत्था टेक सके ताकि उसे बार-बार इन थानों के चक्कर न काटने पड़े. लेकिन यह बात आख़िर कितना सही है और आखिर क्यों थानों के अंदर मे ये मंदिर बने होते है इसके पीछे का एक बहुत ही दिलचस्प कारण है. इस पूरे मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी और उत्तर प्रदेश एसटीएफ के फाउंडर राजेश पांडेय ने मिडिया को बताया कि कभी भी कोई भी अधिकारी थानों में किसी भी मंदिर या मस्जिद के निर्माण का कोई भी मौखिक या लिखित आदेश नहीं दे ही नहीं सकता और ना आज तक किसी ने भी ऐसा कोई आदेश दिया है.उन्होंने आगे बताया कि ब्रिटिश काल के जो भी थाने हैं, उनके अंदर ही मंदिर और मस्जिद देखने के लिए मिलेंगी. उन्होंने बताया कि ऐसा ही जौनपुर का बक्सा थाना, जहां पर एक मजार बनी हुई है. सोनभद्र का पन्नूगंज थाने में भी मंदिर मस्जिद दोनों ही है, जबकि रायबरेली में एक खीरों थाना है, जहां पर एक बड़ी मंदिर बनी है और यहां पर मेला भी लगता है. इसी तरह से ही लखनऊ की चौक कोतवाली समेत तमाम स्थानों में मंदिर बने हुए हैं.

जान ले इसकी यह है मुख्य वजह

इस पूरे प्रकरण में पूर्व आईपीएस अधिकारी ने बताया कि थानों में मंदिर या मस्जिद लोगों की ही आस्था और संस्कृति का ही प्रभाव होने की वजह से ऐसा होता है. कई बार थानों के आसपास जब कोई भी मंदिर नहीं होता है तो वहां पर आने वाला थाना अध्यक्ष और सभी पुलिस वालों और अपने लिए भी मंदिर का निर्माण करते हैं. ताकि उन्हे रोजाना उनका पूजा पाठ होता रहे. कभी-कभी थानों में यह भी अंधविश्वास फैला दिया जाता है कि थाने में आने वाला पुलिस अधिकारी ज्यादा वक्त तक ही थाने में नहीं टिक पाता तो ऐसे में भी डर की वजह से ही लोग मंदिर का निर्माण वहा पर करा देते हैं. अब जो भी थाने नए बन रहे हैं, उनमें किसी भी तरह का कोई मंदिर और मस्जिद आपको नहीं मिलेंगी.

इस सब की एक वजह यह भी है

उन्होंने आगे बताया कि बहुत साल पहले इलाहाबाद में एक बड़े अधिकारी थाने आए थे. उन्होंने यह मौखिक रूप से कहा था कि प्रदेश के सभी थानों में ही मंदिर होनी चाहिए और उसके बाहर भी लिखा होना चाहिए‌ परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्। जिसका अर्थ है सज्जन पुरुषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए ही पुलिस यहां है. इससे लोगों का विश्वास पुलिस और थानों पर ओर ज्यादा बढ़ेगा. थानों में मंदिर होने की एक ख़ास वजह यह भी है.

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