AIN NEWS 1 | पश्चिम एशिया की भू-राजनीति में भारत के लिए एक नया मोर्चा खुलता दिख रहा है। सीरिया के कुर्द नेता और SDF (सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज) के कमांडर जनरल मजलूम आब्दी ने भारत से सीधे मदद की अपील की है। उनका मानना है कि भारत कुर्दों की मदद करके न सिर्फ एक मानवीय कार्य कर सकता है, बल्कि तुर्किए जैसे दोहरे रवैये वाले देश को भी करारा जवाब दे सकता है, जो लगातार पाकिस्तान का साथ देता आया है।
भारत की भूमिका को बताया अहम
जनरल आब्दी का कहना है कि भारत हमेशा से पश्चिम एशिया में एक शांतिपूर्ण और स्थिर ताकत रहा है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सीरिया में पुनर्निर्माण और स्थायित्व के लिए भारत जैसी लोकतांत्रिक और मजबूत अर्थव्यवस्था की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा –
“हम भारत और एशियाई देशों से अपील करते हैं कि वे सीरिया में पुनर्निर्माण और स्थायित्व की प्रक्रिया में भाग लें। भारत हमारे लिए एक संभावित भागीदार हो सकता है, जो न सिर्फ कुर्द समुदाय की मदद करेगा, बल्कि इस क्षेत्र की स्थिरता में भी योगदान देगा।”
कौन हैं जनरल मजलूम आब्दी और क्या है SDF?
जनरल मजलूम आब्दी सीरिया की कुर्द मिलिशिया के प्रमुख नेता हैं, जो SDF (Syrian Democratic Forces) का संचालन करते हैं। यह समूह ISIS के खिलाफ सबसे प्रभावशाली लड़ाई लड़ चुका है और आज भी उत्तरी सीरिया के बड़े हिस्से में प्रशासनिक नियंत्रण बनाए हुए है।
SDF एक सेक्युलर और लोकतांत्रिक सोच पर आधारित संगठन है जो धार्मिक कट्टरता, जातीय भेदभाव और लैंगिक असमानता के खिलाफ है। वे एक ऐसी सरकार चाहते हैं जो सबको समान अधिकार दे, विशेषकर कुर्द समुदाय को जो दशकों से उत्पीड़न का शिकार रहा है।
तुर्किए और कुर्द समुदाय के बीच टकराव क्यों?
तुर्किए लंबे समय से कुर्दों को खतरा मानता है। तुर्क सरकार ने मजलूम आब्दी और उनकी सेना को आतंकवादी घोषित कर रखा है। तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन ने सीरिया में कुर्द-नियंत्रित इलाकों पर कई बार हवाई हमले और सैन्य कार्रवाई की है।
हालांकि अमेरिका जैसे देश SDF को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपना रणनीतिक साझेदार मानते हैं, लेकिन तुर्किए इससे नाराज रहता है। भारत अभी तक इस मुद्दे से दूरी बनाकर चला है, लेकिन अब जब जनरल आब्दी ने खुलकर भारत से समर्थन मांगा है, तो भारत के सामने एक रणनीतिक विकल्प खुला है।
10 मार्च का समझौता और SDF की मांगें
2025 में एक शांति प्रयास के तहत 10 मार्च को सीरियाई सरकार और SDF के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें SDF ने कुछ सीमित स्वायत्तता के बदले संविधान और संप्रभुता को मान्यता देने की बात मानी थी।
लेकिन SDF की मांगें अब भी बनी हुई हैं:
कुर्दों को पहचान और सांस्कृतिक अधिकार मिले,
महिलाओं को समान अधिकार मिलें,
और प्रशासन में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
सीरियाई सरकार इस पर अभी भी अड़ियल रवैया अपनाए हुए है।
ISIS और आतंकी समूह फिर हो रहे सक्रिय
जनरल आब्दी ने यह भी चेताया कि सीरिया में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कमजोर है और ISIS जैसे आतंकी संगठन फिर से संगठित हो रहे हैं। देश में बिजली, पानी और चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं न के बराबर हैं।
उन्होंने कहा:
“हमारी कोशिश है कि सीरिया में स्थायित्व लौटे, लेकिन बिना अंतरराष्ट्रीय समर्थन के यह संभव नहीं। भारत इस पुनर्निर्माण प्रक्रिया में बेहद उपयोगी भूमिका निभा सकता है।”
क्या भारत को हस्तक्षेप करना चाहिए?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के लिए यह एक कूटनीतिक अवसर हो सकता है। तुर्किए हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़ा होता आया है और कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ बयान देता रहा है।
अब भारत अगर SDF का समर्थन करता है तो यह एर्दोगन सरकार को एक सख्त संदेश होगा। इससे भारत न केवल सीरिया में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकता है, बल्कि पश्चिम एशिया में एक जिम्मेदार शक्ति के रूप में उभर सकता है।
Operation Sindoor और राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस पूरी चर्चा के बीच सदन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा “Operation Sindoor” को लेकर सवाल उठाने पर BJP प्रवक्ता संबित पात्रा बेहद आक्रोशित दिखाई दिए। उन्होंने विपक्ष पर सेना के ऑपरेशन्स पर संदेह करने और देश की नीतियों को कमजोर करने का आरोप लगाया।
इस घटनाक्रम के बीच कुर्द नेता की अपील एक और बहस को जन्म दे रही है — क्या भारत को अपने हितों को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय मंच पर ज्यादा आक्रामक रुख अपनाना चाहिए?
कुर्द नेता की भारत से मदद की अपील एक कूटनीतिक और नैतिक दोहरे मोर्चे पर सोचने का विषय है। भारत अगर इस दिशा में कदम उठाता है तो इससे जहां एक अत्याचार झेल रहे समुदाय को राहत मिलेगी, वहीं तुर्किए जैसे विरोधी राष्ट्र को भी स्पष्ट संदेश जाएगा कि भारत अब सिर्फ चुप दर्शक नहीं है, बल्कि जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप करने वाला निर्णायक देश है।
Syrian Kurdish Commander Mazloum Abdi has reached out to India seeking help against Turkey’s continued aggression toward the Kurdish population. Abdi, who leads the Syrian Democratic Forces (SDF), emphasized India’s strategic role in rebuilding Syria and stabilizing the region. With Turkey frequently siding with Pakistan and opposing India, experts believe this is an opportunity for India to support SDF and assert its influence in West Asia. The appeal follows rising political tensions in India, including debates over Operation Sindoor in Parliament.