AIN NEWS 1 Land Dispute: जैसा कि आप जानते हैं जमीन से जुड़े किसी भी प्रकार के विवादों को निपटान को लेकर लोगों में अक्सर जानकारी का अभाव रहता है. ज्यादातर लोग जमीन संबंधी विवादों से जुड़ी कानूनी धाराओं से परिचित ही नहीं होते हैं. लेकीन इस तरह के विवादों से लोगों का सामना अक्सर होता ही रहता है. कई बार तो यह विवाद बहुत बड़ा रूप भी ले लेते हैं. ऐसे में आपकी जमीन से जुड़े मामलों से संबंधित कानूनी प्रावधान और धाराओं की जानकारी होनी बहुत ही जरूरी है. गौरतलब है कि जमीन या किसी अन्य संपत्ति से जुड़े मामलों में कानूनी सहायता को प्राप्त करने के लिए पीड़ित के पास आपराधिक और सिविल दोनों प्रकार के मामलों में कानूनी सहायता प्राप्त करने का पूरा प्रावधान है.

आइए जानते हैं आपराधिक मामलों से संबंधित आईपीसी (IPC)की धाराएं-

1.धारा 420: जान ले अलग-अलग तरह के धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े जैसे मामलों से ही यह धारा संबंधित है. इस धारा के तहत ही संपत्ति या जमीन से जुड़े किसी विवादों में भी किसी पीड़ित के द्वारा शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.

जाने जमीन या अन्य संपत्ति से संबंधित सिविल कानून को-

वैसे जमीन संबंधी विवादों का निपटान सिविल प्रक्रिया के द्वारा भी आसानी से किया जाता है. हालांकि कई बार इस सब में काफ़ी लंबा समय भी लग जाता है,लेकिन यह एक सस्ती प्रक्रिया है.किसी की जमीन या संपत्ति पर गैरकानूनी तरीके कब्जा कर लेने पर इसके जरिए भी किसी मामले को निपटाया जाता है. इस तरह के सभी मामले सिविल न्यायालय ही देखता है.

2.धारा 406: यहां बता दें कई बार लोग उन पर किए गए भरोसे का गलत फायदा उठाते हैं. वे उन पर किए गए विश्वास और भरोसे का ही फायदा उठाकर उनकी जमीन या अन्य किसी सम्पत्ति पर अपना कब्जा कर लेते हैं. तो ऐसे में इस धारा के अन्तर्गत कोई भी पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत आसानी से दर्ज करा सकता है.

3.धारा 467: यहां पर इस धारा के तहत यदि किसी की जमीन या अन्य संपत्ति को फर्जी दस्तावेज (कूटरचित दस्तावेज) बनाकर किसी ने हथिया लिया गया है और अपना कब्जा स्थापित कर लिया जात है,तब इस तरह के मामले में पीड़ित व्यक्ति आईपीसी की धारा 467 के अंतर्गत ही अपनी शिकायत आसानी से दर्ज करा सकता है. वैसे तो इस तरह से जमीन या संपत्ति पर कब्जा करने के मामलों की संख्या बहुत ज्यादा है.इस तरह के सभी मामले एक संज्ञेय अपराध होते हैं और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के द्वारा ही इन पर विचार किया जाता है. यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है.

इसके साथ ही स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट, 1963

भारत की संसद के द्वारा ही इस कानून को संपत्ति संबंधी मामलों में त्वरित न्याय दिलाने के लिए ही बनाया गया था. इस अधिनियम की ही धारा-6 के द्वारा किसी व्यक्ति से उसकी संपत्ति को बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के छीन लेने या जबरदस्ती से उस पर कब्जा कर लेने की स्थिति में ही इस धारा को लागू किया जाता है. इस धारा-6 के जरिए किसी भी पीड़ित व्यक्ति को आसान तरीके से बहुत जल्दी न्याय दिया जाता है. हालांकि धारा-6 से संबंधित कुछ ऐसे नियम भी हैं जिनकी आपकों जानकारी होना जरूरी है.

जान ले यहां पर धारा-6 से संबंधित कुछ नियम और महत्वपूर्ण बातें-

आपकों बताते हैं कि इस धारा के तहत न्यायालय के द्वारा जो भी आदेश या डिक्री पारित कर दी जाती है उसके बाद उसपर किसी भी प्रकार से अपील नहीं की जा सकती.

यह धारा उन सभी मामलों में लागू होती है जिनमें पीड़ित की जमीन से उसका कब्जा 6 महीने के भीतर ही छीना गया हो.अगर इस 6 महीने के बाद में मामला दर्ज कराया जाता है तो फिर इसमें धारा 6 के तहत न्याय ना मिलकर सामान्य सिविल प्रक्रिया के जरिए ही इसका समाधान किया जाएगा.इस धारा के तहत सरकार के विरुद्ध कोई मामला लेकर नहीं आया जा सकता है.इसके तहत ही संपत्ति का मालिक,किराएदार या पट्टेदार कोई भी अपना मामला दायर कर सकता है.

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