AIN NEWS 1 नई दिल्ली: संविधान दिवस के अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लोकतांत्रिक संस्थाओं और संविधान की मर्यादा को बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संविधान हमारे लोकतंत्र की रीढ़ है, और देश की सभी संस्थाएं इसके दिशानिर्देशों का पालन करते हुए काम करती रही हैं और आगे भी करती रहेंगी।
ओम बिरला ने कहा, “हम हमेशा संविधान के प्रति निष्ठावान रहे हैं और इसके मार्गदर्शन में कार्य किया है। चाहे संसद हो या विधानसभा, सभी लोकतांत्रिक संस्थाएं संविधान के अनुसार ही संचालित होती हैं और आगे भी ऐसा ही होगा।”
संविधान सभा की बहसों से प्रेरणा लेने की अपील
लोकसभा अध्यक्ष ने संविधान सभा की बहसों और चर्चाओं से प्रेरणा लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि संविधान सभा में विभिन्न विचारधाराओं और धर्मों के लोग शामिल थे, लेकिन सबने मिलकर देश को एक ऐसा संविधान दिया, जो विविधता में एकता की भावना को मजबूत करता है।
उन्होंने कहा, “संविधान सभा में भिन्न विचारधाराओं और धर्मों के लोग थे, लेकिन उन्होंने अपने मतभेदों को दरकिनार कर देशहित में काम किया। आज हमें संविधान सभा की उस भावना से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने-अपने सदनों में सार्थक चर्चा करनी चाहिए।”
परंपराओं और रीति-रिवाजों को भी जोड़ा
ओम बिरला ने भारतीय परंपराओं और रीति-रिवाजों की चर्चा करते हुए कहा कि हमारी पुरानी परंपराएं और व्यवस्थाएं हमें लोकतांत्रिक चर्चाओं के लिए मार्गदर्शन देती हैं। उन्होंने कहा, “हमें अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों से भी प्रेरणा लेनी चाहिए ताकि हमारे सदनों में बेहतर चर्चा हो सके।”
संविधान दिवस का महत्व
भारत में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। इस दिन 1949 में भारत के संविधान को अंगीकृत किया गया था। ओम बिरला ने इस अवसर पर संविधान और उसके मूल्यों की रक्षा के लिए हर नागरिक और प्रतिनिधि को अपनी जिम्मेदारी निभाने का संदेश दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र की सफलता सार्थक बहस और चर्चाओं पर निर्भर करती है। इसलिए सांसदों और विधायकों को अपने सदनों में गुणवत्तापूर्ण चर्चाएं करने पर ध्यान देना चाहिए।
संविधान दिवस पर लोकसभा अध्यक्ष का यह संदेश न केवल प्रतिनिधियों बल्कि आम जनता को भी संविधान के महत्व को समझने और उसे अपनाने की प्रेरणा देता है।