Lucknow Mayor Sushma Kharkwal Expresses Displeasure Over Municipal Commissioner’s Function Decisions
लखनऊ की मेयर की नाराज़गी – नगर आयुक्त से जवाब-तलब
AIN NEWS 1: लखनऊ नगर निगम में हाल ही में एक ऐसा प्रशासनिक विवाद सामने आया है जिसने नगर निगम के कामकाज की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शहर की मेयर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त गौरव कुमार को एक आधिकारिक पत्र लिखकर कड़े शब्दों में अपनी नाराज़गी व्यक्त की है।
क्या है पूरा मामला?
31 जुलाई 2025 को नगर निगम लखनऊ में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के सम्मान और विदाई समारोह के साथ-साथ मृतक आश्रित कोटे के अंतर्गत नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम नगर निगम मुख्यालय में रखा गया था।
लेकिन हैरानी की बात यह रही कि मेयर को इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की कोई सूचना ही नहीं दी गई। न तो आधिकारिक रूप से निमंत्रण दिया गया और न ही उनके कार्यालय को कोई पत्र भेजा गया। इससे मेयर सुषमा खर्कवाल बेहद नाराज हो गईं और उन्होंने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए नगर आयुक्त से जवाब मांगा।
मेयर का पत्र – क्या लिखा?
सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त को भेजे गए पत्र में लिखा,
“खेद का विषय है कि इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम की सूचना न तो मुझे दी गई और न ही मेरे कार्यालय को भेजी गई। यह आपके अधीनस्थ अधिकारियों की जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाही और अनुशासनहीनता को दर्शाता है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह केवल निमंत्रण न भेजने का मामला नहीं है, बल्कि नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करने वाला कदम है।
सहायक नगर आयुक्तों की नियुक्ति पर भी सवाल
मेयर ने सिर्फ समारोह की सूचना न दिए जाने पर ही आपत्ति नहीं जताई, बल्कि हाल ही में नियुक्त किए गए सहायक नगर आयुक्तों के कार्य विभाजन के तरीके पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जिन सहायक नगर आयुक्तों ने हाल ही में कार्यभार संभाला है, उन्हें अब तक कार्य करने के लिए आवश्यक कक्ष और स्टाफ उपलब्ध नहीं कराया गया।
इसके बावजूद, बिना किसी पूर्व परामर्श और बिना मेयर से विचार-विमर्श किए, उनके कार्यों का विभाजन कर दिया गया। मेयर ने इस निर्णय को “गैर-जिम्मेदाराना” बताया और नगर आयुक्त से पूछा कि क्या इस तरह के प्रशासनिक निर्णय लेने से पहले महापौर से राय लेना जरूरी नहीं समझा गया?
नगर आयुक्त से जवाब तलब
मेयर ने अपने पत्र में स्पष्ट निर्देश दिए कि 4 अगस्त 2025 तक नगर आयुक्त इस मामले पर लिखित रूप से जवाब दें। उन्होंने पूछा:
1. क्या मृतक आश्रितों को नियुक्ति पत्र प्रदान करने और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के सम्मान समारोह जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में मेयर की उपस्थिति आवश्यक नहीं थी?
2. क्या सहायक नगर आयुक्तों के कार्य विभाजन पर चर्चा करने से पहले महापौर से विचार-विमर्श की आवश्यकता नहीं थी?
अंदरूनी टकराव के संकेत
यह विवाद लखनऊ नगर निगम में अंदरूनी टकराव की ओर इशारा करता है। मेयर और नगर आयुक्त के बीच संवाद की कमी और निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव प्रशासनिक कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है। इससे नगर निगम के कामकाज पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
आगे क्या होगा?
अब देखना यह है कि नगर आयुक्त गौरव कुमार मेयर के पत्र पर क्या जवाब देते हैं और इस पूरे विवाद का क्या समाधान निकलता है। अगर इस मामले को तुरंत नहीं सुलझाया गया तो इसका असर आने वाले समय में नगर निगम के अन्य निर्णयों और परियोजनाओं पर भी पड़ सकता है।
Lucknow Mayor Sushma Kharkwal has raised serious concerns over the functioning of the Municipal Commissioner, expressing disappointment for not being informed about the appointment ceremony under the deceased dependent quota and the farewell event for retiring employees. She also criticized the recent allocation of work to newly appointed Assistant Municipal Commissioners without consultation. This incident highlights growing tensions within Lucknow Nagar Nigam regarding administrative decisions and communication gaps between the Mayor and the Municipal Commissioner.