Lucknow: Man Who Built Police Station Gate Arrested in ₹Crore Fraud Case
AIN NEWS 1: लखनऊ के मोहनलालगंज थाने में लगे एक शिलापट पर प्रमोद कुमार उपाध्याय का नाम बतौर उद्घाटनकर्ता दर्ज है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब इसी थाने में उसके खिलाफ 23 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। कुल मिलाकर प्रमोद पर अलग-अलग थानों में कुल 30 मुकदमे दर्ज हैं। वह करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का सरगना निकला, जिसे यूपी पुलिस और एसटीएफ ने संयुक्त रूप से रविवार की रात गिरफ्तार किया।
मोहनलालगंज थाने के गेट पर लगे शिलापट पर प्रमोद कुमार उपाध्याय का नाम दर्ज है। उसे स्थानीय लोग ‘समाजसेवी’ और ‘दानवीर’ मानते थे। उसने न केवल थाने का विशाल गेट बनवाया बल्कि पुलिस चौकी का जीर्णोद्धार भी कराया। थाने में उसका नियमित आना-जाना था और वह पुलिसकर्मियों के साथ मेलजोल में रहता था।
ठगी का तरीका – सैन्य परिवारों को निशाना
प्रमोद कुमार उपाध्याय ने ठगी का जो तरीका अपनाया, वह बेहद शातिराना था। उसने सबसे पहले सैन्य परिवारों में भरोसा बनाने के लिए दो शहीदों के परिवारों को मोहनलालगंज बुलाकर उन्हें निशुल्क प्लॉट देने की घोषणा की। नवंबर 2017 में एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान प्रसिद्ध भागवताचार्य के हाथों इन परिवारों को प्लॉट की रजिस्ट्री दी गई। इससे प्रमोद की विश्वसनीयता काफी बढ़ गई और उसने इसे अपने जाल फैलाने के लिए इस्तेमाल किया।
100 से अधिक परिवारों को बना चुका है शिकार
पुलिस की जांच में सामने आया कि प्रमोद ने अब तक 100 से ज्यादा सैन्य परिवारों को सस्ते प्लॉट का झांसा देकर ठग लिया। पीड़ितों को लुभावने दामों पर प्लॉट देने का वादा कर वह उनसे मोटी रकम ऐंठता रहा। परंतु न तो प्लॉट मिले और न ही पैसे वापस हुए। यह ठगी कई सालों तक चलती रही और किसी को शक नहीं हुआ।
मार्च 2025 में खुला फर्जीवाड़े का राज
मार्च 2025 में महाराष्ट्र की रहने वाली लक्ष्मी देवी ने लखनऊ में प्रमोद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। इसके बाद एसीपी रजनीश वर्मा ने प्रमोद की पुरानी फाइलें खंगालनी शुरू कीं। सरोजनीनगर और आशियाना थानों में पहले से ही कई केस दर्ज मिले। पुलिस ने गहराई से जांच की तो एक के बाद एक कई और पीड़ित सामने आए।
लगातार बढ़ते रहे मुकदमे
मार्च से जून 2025 तक के बीच ही प्रमोद के खिलाफ 19 नए मुकदमे दर्ज हुए। पुराने केस मिलाकर कुल मुकदमों की संख्या 30 पहुंच चुकी है। पुलिस के अनुसार, यह संख्या और भी बढ़ सकती है क्योंकि कई पीड़ित अब सामने आने लगे हैं।
गिरफ्तारी की कार्रवाई
जैसे ही मामले की गंभीरता बढ़ी, डीसीपी उत्तरी निपुण अग्रवाल ने तुरंत चार टीमों का गठन किया। एक टीम एसीपी रजनीश वर्मा के नेतृत्व में बनाई गई जबकि दूसरी एसटीएफ के अधिकारियों के साथ बनी। दोनों टीमों ने रविवार की रात को प्रमोद को दबोच लिया। उसकी गिरफ्तारी के बाद कई अहम दस्तावेज और प्रमाण भी मिले हैं, जो उसके ठगी नेटवर्क को उजागर करते हैं।
क्यों बनवाया था थाने का गेट?
प्रमोद ने थाने के गेट का निर्माण अपने पैसे से करवाया था ताकि पुलिस महकमे में उसकी छवि अच्छी बन सके और वह आसानी से पुलिस के संपर्क में रह सके। यह एक सोची-समझी रणनीति थी ताकि जब वह लोगों से धोखा करे, तो पुलिस उसे तुरंत संदेह की नजर से न देखे।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रमोद पहले बहुत मिलनसार और मददगार दिखता था। उसने सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लिया, धार्मिक आयोजनों में सहयोग दिया, और यहां तक कि कुछ गरीब परिवारों को दान भी किया। लोगों को अंदाज़ा नहीं था कि वह इतने बड़े फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड निकलेगा।
Promod Kumar Upadhyay, who once earned recognition for building the grand entrance of the Mohanlalganj Police Station in Lucknow, has now been arrested in a massive land fraud case involving over ₹crores. With over 30 FIRs registered across multiple police stations, Promod targeted army families by promising cheap plots, exploiting the trust he gained through past “charitable” acts like giving free plots to martyr families. His arrest was made by joint efforts of the Lucknow Police and STF, uncovering one of the biggest land scam networks in Uttar Pradesh in recent years.