AIN NEWS 1: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में स्थित मधेश्वर पहाड़ को दुनिया के सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के तहत मधेश्वर पहाड़ का नाम ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज किया गया है।
प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक आस्था का केंद्र
मधेश्वर पहाड़ न केवल अपनी अद्भुत प्राकृतिक संरचना के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह धार्मिक आस्था का भी प्रमुख केंद्र है। यहां का विशाल प्राकृतिक शिवलिंग शिव भक्तों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का बड़ा केंद्र बना हुआ है। इस पहाड़ को देखने और यहां पूजा-अर्चना करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
राज्य के लिए गर्व की बात
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस ऐतिहासिक मान्यता के लिए प्रदेशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि मधेश्वर पहाड़ का विश्व स्तर पर पहचान बनना राज्य के लिए गर्व की बात है। उन्होंने इसे छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने वाला एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
विशेषज्ञों का मानना है कि इस मान्यता के बाद जशपुर और आसपास के इलाकों में पर्यटन को नई दिशा मिलेगी। इससे न केवल क्षेत्र के आर्थिक विकास में मदद मिलेगी, बल्कि छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक धरोहर की पहचान भी और मजबूत होगी।
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम ने मधेश्वर पहाड़ का निरीक्षण करने के बाद इसे दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग मानते हुए इस रिकॉर्ड को अपने आधिकारिक दस्तावेज में शामिल किया। यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।
भविष्य की योजनाएं
इस मान्यता के बाद राज्य सरकार ने यहां के पर्यटन स्थलों के विकास और सुविधाओं के विस्तार के लिए विशेष योजनाएं बनाने की बात कही है। इसके तहत आने वाले समय में यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने और पर्यटकों के लिए अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराने की योजना है।
मधेश्वर पहाड़ को मिली यह मान्यता न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय है। यह प्राकृतिक धरोहर और धार्मिक स्थल विश्व स्तर पर भारत की पहचान को और मजबूत करेगा।