Maha Kumbh Stampede: Who is Responsible for 30 Deaths? Know the 5 Officers’ Role
महाकुंभ भगदड़: 30 श्रद्धालुओं की मौत के लिए कौन जिम्मेदार? जानिए 5 बड़े अफसरों की भूमिका
AIN NEWS 1: प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के शाही स्नान में उमड़ी भारी भीड़ के बीच भगदड़ मच गई, जिसमें लगभग 40 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए। हादसे के बाद प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
मेला प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद यह हादसा कैसे हुआ?
किन अधिकारियों की जिम्मेदारी थी भीड़ को नियंत्रित करने की, और वे कहां चूक गए?
आइए जानते हैं उन 5 बड़े अधिकारियों के बारे में, जिन पर महाकुंभ की व्यवस्था का दारोमदार था।
भीड़ नियंत्रण की जिम्मेदारी किन 5 अधिकारियों पर थी?
1. महाकुंभ एसएसपी राजेश द्विवेदी
महाकुंभ की सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण की जिम्मेदारी एसएसपी राजेश द्विवेदी पर थी। लेकिन घटना के बाद उन्होंने भगदड़ की खबर को खारिज कर दिया।
मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने के बावजूद, क्राउड मैनेजमेंट पूरी तरह से फेल हो गया। पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती नहीं थी, और आपातकालीन स्थिति से निपटने की कोई तैयारी नहीं दिखी।
2. मंडलायुक्त विजय विश्वास पंथ
प्रयागराज के मंडलायुक्त विजय विश्वास पंथ को पूरे महाकुंभ क्षेत्र की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन जब भगदड़ हुई, तो वे केवल लाउडस्पीकर से घोषणाएं करते नजर आए।
उनका काम केवल अनाउंसमेंट करना नहीं, बल्कि ऐसी रणनीति बनाना था, जिससे भीड़ का प्रवाह सही तरीके से नियंत्रित हो। लेकिन प्रशासनिक चूक के कारण श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो सकी।
3. डीआईजी वैभव कृष्ण
डीआईजी वैभव कृष्ण को भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा प्रबंधन का दायित्व दिया गया था। लेकिन वे कंट्रोल रूम में बैठे केवल अनाउंसमेंट करते रहे।
उनका काम था कि 10 करोड़ श्रद्धालुओं को सही ढंग से निर्देशित किया जाए और किसी एक स्थान पर भीड़ न इकट्ठी हो। लेकिन मैदान पर उतरकर स्थिति को संभालने के बजाय, वे सिर्फ कंट्रोल रूम में योजनाएं बनाते रहे, जिनका सही क्रियान्वयन नहीं हुआ।
4. एडीजी भानु भास्कर
महाकुंभ में भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी एडीजी भानु भास्कर पर थी। उन्होंने पहले दावा किया था कि सारी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चल रही हैं। लेकिन हादसे के बाद यह साफ हो गया कि प्रशासन पूरी तरह से विफल रहा।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सुरक्षा और नियंत्रण के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं थे। भगदड़ के दौरान पुलिस बल मौके से नदारद था, जिससे हालात और बिगड़ गए।
5. मेला अधिकारी विजय किरण
महाकुंभ मेले के मुख्य अधिकारी विजय किरण को पूरे आयोजन की सफलता की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्हें हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर नजर रखनी थी और किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए पहले से योजना बनानी थी।
लेकिन भगदड़ के बाद वे सिर्फ सफाई देते नजर आए। न ही उन्होंने हादसे की जिम्मेदारी ली और न ही भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए कोई ठोस कदम उठाने की बात की।
भगदड़ के पीछे क्या कारण रहे?
1. सुरक्षा व्यवस्था का अभाव – पर्याप्त पुलिस बल और सुरक्षाकर्मियों की तैनाती नहीं थी।
2. क्राउड मैनेजमेंट की नाकामी – 10 करोड़ श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने के लिए कोई स्पष्ट रणनीति नहीं बनाई गई।
3. सूचना और दिशानिर्देशों की कमी – श्रद्धालुओं को सही जानकारी नहीं दी गई, जिससे भीड़ बेकाबू हो गई।
4. इमरजेंसी प्लानिंग का अभाव – किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने की योजना नहीं थी।
5. प्रशासनिक लापरवाही – अधिकारियों ने हादसे को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
हादसे के बाद सरकार की प्रतिक्रिया
हादसे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आपातकालीन बैठक बुलाई और सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा की।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
✅ संगम क्षेत्र में एनएसजी कमांडो की तैनाती
✅ संगम नोज इलाके में एंट्री बंद
✅ प्रयागराज से सटे जिलों में श्रद्धालुओं की आवाजाही सीमित की गई
✅ अधिकारियों को व्यवस्थाओं को सुधारने के निर्देश
हालांकि, सवाल अब भी बना हुआ है – क्या यह हादसा रोका जा सकता था? और क्या प्रशासन इससे कोई सबक लेगा?
The Maha Kumbh Mela Stampede in Prayagraj on Mauni Amavasya led to the tragic death of 30 devotees and left over 60 injured. Despite the Yogi government’s claims of effective crowd management, the massive gathering of 10 crore pilgrims caused a deadly stampede. Key officials, including SSP Rajesh Dwivedi, Commissioner Vijay Vishwas, DIG Vaibhav Krishna, ADG Bhanu Bhaskar, and Mela Officer Vijay Kiran, failed to control the crowd. The lack of security measures, poor emergency planning, and administrative negligence resulted in this tragedy. The Uttar Pradesh government has now deployed NSG commandos and restricted entry to affected areas. However, the question remains: Could this disaster have been prevented?