AIN NEWS 1 : महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने शुक्रवार को एक विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने कहा, “अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह या भारत के मुख्य न्यायाधीश मुझे लिखित गारंटी दें कि बांग्लादेश में जो हिंदुओं के साथ हो रहा है, वैसा भारत में अगले 25 वर्षों में हिंदुओं के साथ नहीं होगा, तो मैं मां गंगा के जल में समाधि ले लूंगा।” यह बयान उन्होंने हरिद्वार में गंगा के तट पर सनातन धर्म की रक्षा और इस्लाम के जिहाद के समूल विनाश के लिए आयोजित किए गए मां बगलामुखी महायज्ञ के दौरान दिया।
नरसिंहानंद ने अपने बयान में कहा, “अगर मेरी बातें झूठी नहीं हैं, तो मुझे हेट स्पीच कैसे कहा जा सकता है?” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि हेट स्पीच का अंतर समझाया जाए और अगर उन्हें नहीं समझाया जा सकता, तो उन्हें जेल में डाल दिया जाए या गोली मार दी जाए। उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, “अगर किसी ने मुझे नहीं समझा तो मैं अंतिम सांस तक सत्य बोलता रहूंगा।”
इस महायज्ञ का आयोजन हरिद्वार में गंगा के तट पर किया गया है, जहां नरसिंहानंद सनातन धर्म की रक्षा और इस्लाम के जिहाद को समाप्त करने की बात कर रहे हैं। यति नरसिंहानंद ने अपने बयान में समाज और धर्म के प्रति अपनी कट्टरपंथी सोच को व्यक्त किया और इस संबंध में अपने विचारों को स्पष्ट किया।
उनके इस बयान ने सोशल मीडिया और समाज में काफी हलचल मचाई है। कई लोग उनकी इस टिप्पणी को विवादास्पद मानते हुए आलोचना कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग उनके विचारों का समर्थन भी कर रहे हैं।
नरसिंहानंद की यह टिप्पणी उनके लगातार विवादों में रहने वाले बयानों की श्रृंखला का हिस्सा है। इससे पहले भी वे सनातन धर्म की रक्षा और अन्य धर्मों के खिलाफ कड़ी टिप्पणियां कर चुके हैं।
उनके इस बयान पर राजनीतिक और धार्मिक नेताओं की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। कई लोगों का कहना है कि ऐसे बयानों से समाज में नफरत और असहमति का माहौल बनता है, जबकि कुछ लोग इसे धार्मिक आस्थाओं और विचारों की अभिव्यक्ति के रूप में देख रहे हैं।
अब देखना यह है कि यति नरसिंहानंद के इस बयान पर सरकार और संबंधित प्रशासन क्या कार्रवाई करते हैं, और क्या इसे धार्मिक नफरत फैलाने वाला मानते हुए कोई कानूनी कदम उठाया जाता है।