AIN NEWS 1 | महाराष्ट्र में निकाय चुनाव नजदीक आते ही राज्य सरकार के कर्ज और वित्तीय स्थिति पर बहस तेज हो गई है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार कर्ज के बोझ तले दब गई है, जबकि उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इसका खंडन करते हुए स्पष्ट किया कि राज्य की वित्तीय स्थिति स्थिर है और कर्ज नियंत्रण में है।
अजित पवार का बयान
नागपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में महायुति सरकार के सत्ता में आने के बाद विपक्ष लगातार कर्ज और वित्तीय नीतियों पर सवाल उठाता रहा है।
उन्होंने जानकारी दी कि वर्तमान में राज्य का कुल कर्ज ₹9.32 लाख करोड़ है। वित्त वर्ष 2025-26 में सकल राजस्व ₹22 लाख करोड़ था और नियमों के अनुसार कर्ज सकल राजस्व का 25% तक ही होना चाहिए। वर्तमान में यह अनुपात केवल 18.87% है।
अजित पवार ने कहा कि यह दिखाता है कि कर्ज नियंत्रण में है और राज्य वित्तीय दृष्टि से मजबूत और स्थिर है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोप वास्तविक स्थिति से मेल नहीं खाते।
विपक्ष का आरोप: जनता का धैर्य टूट रहा
वहीं, विपक्षी नेताओं ने महाराष्ट्र सरकार पर कर्ज बढ़ाने और वित्तीय नीतियों में असंतुलन का आरोप लगाया है।
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि “जनता का धैर्य अब टूट रहा है। दस लाख करोड़ रुपये का कर्ज होने के बावजूद इसे प्रगतिशील राज्य कहा जा रहा है। योजनाओं का उद्देश्य केवल राजनीतिक लाभ है, आम लोगों को इसका वास्तविक फायदा नहीं मिलता।”
राउत का कहना था कि सरकार की वित्तीय नीतियां आम जनता के हित में नहीं दिख रही हैं और जनता में असंतोष बढ़ रहा है।
कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की टिप्पणियां
महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और विधायक नाना पटोले ने कहा कि सरकार लगातार कर्ज उठाती जा रही है, लेकिन यह पैसा कहां खर्च हो रहा है, यह स्पष्ट नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कई बार सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने वाले ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया जा पा रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि खर्च पर नियंत्रण नहीं है और वित्तीय प्रबंधन में गंभीर कमियां हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी कर्ज को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि “कर्ज नौ लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जबकि नई परियोजनाओं की संख्या कम है। सवाल यह है कि यह पैसा कहां जा रहा है। अगर ठेकेदारों के फायदे के लिए पैसा लिया जा रहा है और सिर्फ बांध, पुल और सड़कें बनाई जा रही हैं, तो इसे विकास नहीं कहा जा सकता।”
कर्ज का विश्लेषण
कुल कर्ज: ₹9.32 लाख करोड़
सकल राजस्व (2025-26): ₹22 लाख करोड़
कर्ज का अनुपात: 18.87% (अनुशंसित 25% के मुकाबले कम)
विश्लेषकों का कहना है कि राज्य का कर्ज वित्तीय दृष्टि से स्थिर है, लेकिन वित्तीय प्रबंधन और खर्च की पारदर्शिता पर ध्यान देना आवश्यक है।
निकाय चुनाव और कर्ज बहस
महाराष्ट्र में निकाय चुनाव से पहले कर्ज और विकास पर बहस राजनीतिक माहौल को गर्म कर रही है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार सिर्फ विज्ञापनों और योजनाओं के माध्यम से राजनीतिक लाभ प्राप्त करने की कोशिश कर रही है, जबकि आम जनता को वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा।
सवाल उठता है कि सरकार का पैसा कहां खर्च हो रहा है और क्या वित्तीय निर्णय जनता के हित में हैं।
महाराष्ट्र में कर्ज और वित्तीय स्थिरता पर बहस अब और बढ़ गई है।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार का कहना है कि कर्ज नियंत्रण में है और वित्तीय स्थिति मजबूत है।
विपक्ष के नेता संजय राउत, नाना पटोले और उद्धव ठाकरे का आरोप है कि कर्ज बढ़ रहा है और उसका वास्तविक लाभ जनता तक नहीं पहुंच रहा।
अंततः यह बहस सरकार की वित्तीय नीति और निकाय चुनाव की तैयारी के बीच संतुलन बनाए रखने का मुद्दा बन गई है।