Sunday, January 26, 2025

ममता कुलकर्णी ने अपनाई आध्यात्मिक राह, बनीं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर?

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AIN NEWS 1: पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी अब श्री यामाई ममतानंद गिरि के नाम से पहचानी जाएंगी। ममता को यह पदवी किन्नर अखाड़े द्वारा महाकुंभ 2025 में दी गई। किन्नर अखाड़ा सनातन धर्म के 13 प्रमुख अखाड़ों से अलग है, जो 2015 में स्थापित हुआ था। इसकी आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी हैं।

किन्नर अखाड़े से जुड़ने का निर्णय

ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े को चुना क्योंकि यह अखाड़ा संसारिक जीवन और आध्यात्मिकता के बीच संतुलन बनाने का अवसर प्रदान करता है। यहां संन्यासी बनने के लिए पारिवारिक और भौतिक रिश्तों को पूरी तरह समाप्त करना अनिवार्य नहीं है।

महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया

महामंडलेश्वर बनने के लिए ममता कुलकर्णी ने संगम की त्रिवेणी में स्नान किया और अपने पुराने जीवन का त्याग करने के प्रतीकस्वरूप पिंडदान किया। इसके बाद उनका पट्टाभिषेक हुआ। अब वे किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर के रूप में आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त कर चुकी हैं।

विवादों से आध्यात्मिकता तक का सफर

ममता कुलकर्णी का जीवन पहले विवादों से भरा रहा है। 1993 में एक टॉपलेस फोटोशूट के कारण वे चर्चा में आईं। इसके बाद 2013 में उन्होंने बॉलीवुड से दूरी बना ली और कथित तौर पर ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से शादी की। 2016 में मुंबई पुलिस ने उनके खिलाफ ड्रग्स तस्करी के एक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।

नई पहचान और जिम्मेदारी

ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े की दीक्षा लेकर अपने पुराने जीवन को पूरी तरह त्याग दिया है। अब वे श्री यामाई ममतानंद गिरि के रूप में अपनी नई जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगी।

किन्नर अखाड़े की अनोखी विशेषताएं

किन्नर अखाड़ा पारंपरिक अखाड़ों से अलग है। यहां संन्यासी बनने के बाद भी व्यक्ति भौतिक जीवन जी सकता है। यही कारण है कि ममता कुलकर्णी ने इस अखाड़े को चुना।

आध्यात्मिकता की नई राह

ममता कुलकर्णी का यह कदम यह दिखाता है कि इंसान किसी भी समय अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकता है। किन्नर अखाड़ा और महाकुंभ 2025 उनके लिए एक नए अध्याय की शुरुआत बने हैं।

Mamta Kulkarni, former Bollywood actress, has embraced a new spiritual identity by becoming the Mahamandaleshwar of Kinnar Akhada. Known as Shri Yamai Mamta Nand Giri, she took this step at the Mahakumbh 2025, marking a significant transformation in her life. The Kinnar Akhada, founded in 2015, offers a unique path within Sanatan Dharma, allowing individuals to maintain worldly connections while pursuing spiritual growth. This shift underscores her journey from controversies to spirituality, highlighting her dedication to a new purpose.

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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