पहलगाम हमले और भारत-पाक युद्ध पर बोले मौलाना अरशद मदनी – ‘मैं दुआ करता हूं कि जंग न हो’

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AIN NEWS 1 | जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पहलगाम आतंकी हमले, भारत-पाक युद्ध, और सिंधु जल समझौते सहित कई ज्वलंत मुद्दों पर अपनी राय रखी।

🧨 पहलगाम हमले पर प्रतिक्रिया

मौलाना मदनी ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा:

“जो लोग जाहिल होते हैं, वही ऐसे काम करते हैं। इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता।”

उन्होंने आतंकियों के घर गिराए जाने पर समर्थन जताते हुए कहा:

“अगर वो वाकई आतंकवादी थे और घर गिराया गया, तो सही किया गया है।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका पाकिस्तान से कोई संबंध नहीं है:

“ना मैं पाकिस्तान जाता हूं, ना मेरा कोई ताल्लुक है। हम जो हुआ है, उसकी निंदा करते हैं।”

🕊️ भारत-पाक युद्ध पर बोले – “जंग का कोई फायदा नहीं”

मौलाना मदनी ने दो टूक कहा कि वो युद्ध के खिलाफ हैं:

“मैं जंग की मुखालफत करता हूं। पाकिस्तान से कई लड़ाइयां हो चुकी हैं, लेकिन क्या हल निकला? जिस दिन जंग होगी, भारत की करेंसी की कीमत जमीन पर आ जाएगी।”

उन्होंने कहा:

“मैं दुआ करता हूं कि भारत और पाकिस्तान के बीच जंग ना हो। पाकिस्तान का भारत से कोई मुकाबला नहीं है।”

🌊 सिंधु जल समझौते पर क्या बोले मदनी?

जब उनसे भारत द्वारा पाकिस्तान का पानी रोके जाने की बात पूछी गई तो उन्होंने पहले मजाक में कहा:

“आपने प्रेस कॉन्फ्रेंस रखकर मेरा खाना बंद कर दिया।”

इसके बाद गंभीरता से बोले:

“क्या पानी रोकना इतना आसान है? सतलज, रावी, चेनाब, व्यास, झेलम सदियों से बह रहे हैं। ये सब जाकर दरिया-ए-सिंध बनाते हैं। नफरत की नहीं, मोहब्बत की हुकूमत होनी चाहिए।”

In a recent press conference, Maulana Arshad Madani, president of Jamiat Ulama-e-Hind, condemned the Pahalgam terrorist attack, stating that Islam does not allow such violence. He supported the demolition of terrorist houses if the individuals were proven guilty and distanced himself from any connection with Pakistan. Speaking on the possibility of an India-Pakistan war, he strongly opposed it, emphasizing the economic and humanitarian damage it would cause. He also commented on the Indus Water Treaty, urging for peace, love, and understanding between nations rather than hatred.

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