AIN NEWS 1: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में न्यायपालिका की स्वतंत्रता और पारदर्शिता को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका के किसी सदस्य की सरकार के प्रतिनिधियों या नेताओं से मुलाकात का अर्थ किसी प्रकार की ‘डील’ या समझौता नहीं होता। इसके बजाय, यह महज एक औपचारिक या सामान्य मुलाकात हो सकती है, जिसमें अदालत से जुड़े मामलों पर कोई चर्चा नहीं होती।
चीफ जस्टिस ने लोगों को आश्वासन दिया कि ऐसी मुलाकातें न्यायपालिका की निष्पक्षता पर कोई प्रभाव नहीं डालतीं। उन्होंने कहा, “लोगों को न्यायपालिका और अपने जजों पर पूरा भरोसा रखना चाहिए। जजों का काम है निष्पक्ष रहकर कानून और संविधान के मुताबिक फैसला देना।”
न्यायपालिका पर जनता का भरोसा जरूरी
चीफ जस्टिस ने इस बात पर भी जोर दिया कि न्यायपालिका की साख बनाए रखना और उसमें जनता का विश्वास बरकरार रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि समाज में न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाने से जनता का न्याय व्यवस्था में विश्वास कमजोर हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि लोग अपने जजों और अदालतों पर भरोसा बनाए रखें।
सरकारी मुलाकातों का उद्देश्य
जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि कई बार न्यायपालिका के वरिष्ठ अधिकारी या जज सरकार के किसी अधिकारी या नेता से औपचारिक मुलाकात कर सकते हैं। लेकिन इसका मकसद किसी केस पर चर्चा करना या किसी प्रकार की डील करना नहीं होता। ऐसी मुलाकातें कई कारणों से होती हैं, जैसे किसी सार्वजनिक समारोह में मिलना या किसी सामाजिक मुद्दे पर सामान्य बातचीत करना। इसका न्यायिक प्रक्रियाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
स्वतंत्रता और निष्पक्षता
उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता का महत्व समझाते हुए कहा कि अदालतें संविधान के तहत स्वतंत्र हैं और किसी भी बाहरी दबाव में नहीं आतीं। जजों का काम है, केवल कानून और संविधान के दायरे में रहकर निष्पक्षता से निर्णय लेना।
निष्कर्ष
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के इस बयान से स्पष्ट होता है कि जनता को अपने जजों और न्यायपालिका पर भरोसा बनाए रखना चाहिए। उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर जोर देते हुए इस तरह की मुलाकातों को सामान्य बताया, जिससे यह संदेश मिलता है कि ऐसी मुलाकातों को गलत तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए।