Modi Government to Conduct Caste Census Along with Population Census
मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम: अब होगी जाति जनगणना भी जनगणना के साथ
AIN NEWS 1: भारत सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया है। इस फैसले से वर्षों से चली आ रही सामाजिक और राजनीतिक मांग को मान्यता मिली है, और अब जनगणना के साथ-साथ देश में जाति आधारित आंकड़ों को भी औपचारिक रूप से एकत्रित किया जाएगा।
क्या है जाति जनगणना?
जाति जनगणना का अर्थ है—देश की जनसंख्या को उनकी जातियों के आधार पर वर्गीकृत करना और उसका विवरण एकत्र करना। यह प्रक्रिया भारत में कई दशकों से एक मांग रही है, खासकर पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के नेताओं और संगठनों द्वारा। इसके पीछे तर्क यह है कि यदि सरकार को जाति के अनुसार सटीक जनसंख्या का डेटा हो, तो वह नीतियों और योजनाओं को और अधिक प्रभावी ढंग से बना सकती है।
सरकार का फैसला क्यों है महत्वपूर्ण?
नीतिगत योजना में सहूलियत: जाति के आधार पर आंकड़े होने से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आरक्षण जैसे क्षेत्रों में लक्षित योजनाएं बनाना आसान होगा।
सामाजिक न्याय को बल: पिछड़े वर्गों और अन्य सामाजिक समूहों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में लाभ पहुंचाने में मदद मिलेगी।
राजनीतिक प्रतिनिधित्व: इससे यह पता चलेगा कि किस जाति या वर्ग की स्थिति क्या है और उनके लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व की क्या जरूरत है।
पृष्ठभूमि: पहले क्या होता रहा है?
भारत में 1931 में आखिरी बार जाति जनगणना हुई थी। इसके बाद जनगणना तो हर 10 साल पर होती रही, लेकिन जाति आधारित आंकड़े एकत्र नहीं किए गए। 2011 में एक बार “सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC)” कराई गई थी, लेकिन उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई थी। कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने इसे लेकर समय-समय पर मांग उठाई थी।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल है।
विपक्षी दलों ने लंबे समय से जाति जनगणना की मांग की थी और अब इस पर सरकार की सहमति को “देर से सही, मगर सही कदम” कहा जा रहा है।
वहीं, कुछ संगठनों ने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया है।
हालांकि कुछ आलोचक यह भी कह रहे हैं कि इससे समाज में जातिवाद को बढ़ावा मिल सकता है, लेकिन सरकार का कहना है कि यह कदम “डाटा आधारित नीति निर्माण” की दिशा में जरूरी है।
कैसे और कब होगी जाति जनगणना?
सरकार ने यह साफ कर दिया है कि अगली जनगणना के साथ ही जाति जनगणना की प्रक्रिया को जोड़ा जाएगा। यह जनगणना डिजिटल माध्यम से की जाएगी और नागरिकों से उनकी जाति की जानकारी भी ली जाएगी।
जनगणना अधिकारी लोगों के घर जाकर डिजिटल डिवाइस की मदद से जानकारी एकत्र करेंगे। इस जानकारी को बाद में एनालिसिस करके एक रिपोर्ट के रूप में सार्वजनिक किया जाएगा।
इससे क्या बदलेगा?
1. डेटा आधारित योजनाएं: सरकार योजनाएं बनाते समय सटीक जातिगत आंकड़ों को आधार बना सकेगी।
2. आरक्षण नीति पर पुनर्विचार: इस जनगणना के बाद आरक्षण व्यवस्था में कुछ बदलाव हो सकते हैं ताकि जो सबसे ज़रूरतमंद वर्ग हैं, उन्हें प्राथमिकता मिल सके।
3. सामाजिक समावेशन को बल: यह प्रक्रिया समाज के सभी वर्गों को समान अवसर देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास हो सकती है।
मोदी सरकार का यह फैसला सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के क्षेत्र में एक बड़ा और साहसी कदम माना जा रहा है। जाति जनगणना से देश को यह जानने में मदद मिलेगी कि कौन से वर्ग अब भी विकास की दौड़ में पीछे हैं और उन्हें आगे लाने के लिए क्या किया जाना चाहिए। अब सभी की नजरें इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर होंगी।
The Modi government has officially announced the inclusion of a caste-based census along with the upcoming Indian population census. This major decision aims to collect accurate caste data to design better social welfare schemes, ensure inclusive development, and enable data-driven policymaking. The 2025 caste census is expected to play a vital role in reshaping India’s reservation policies and addressing social justice issues.
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