AIN NEWS 1 | गाजियाबाद जिले की मोदीनगर तहसील के अंतर्गत आने वाला गांव मोहम्मदपुर कदीम एक बार फिर चर्चा में है। गांव के प्रधान पति पर सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने नालियों पर लगे लोहे के चैनल कबाड़ी को बेच दिए, जो कि पहले से ही विधायक निधि से बनी सड़कों के साथ लगाए गए थे।
यह पहला मौका नहीं है जब प्रधान पति पर आरोप लगे हों। कुछ महीने पहले भी दलित समाज के लोगों ने आरोप लगाया था कि उनकी पट्टे की जमीन पर जबरन कब्जा कर मकान बनाया गया है। उस समय प्रशासन ने जांच की थी, लेकिन किसी भी तरह की ठोस कार्यवाही नहीं की गई, जिससे ग्रामीणों में असंतोष और बढ़ गया।
अब ग्रामीणों का कहना है कि प्रधान पति ने पहले से बनी MLA फंड से निर्मित सड़क को जानबूझकर उखड़वाया और दोबारा निर्माण शुरू करवाया गया। इसके साथ ही, पहले से लगी लोहे की चैनलिंग को निकाल कर कबाड़ी को बेच दिया गया, और उस पैसे का आपसी बंटवारा कर लिया गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि यह पूरा कार्य नकली विकास कार्य दिखाकर सरकारी फंड की बंदरबांट के उद्देश्य से किया गया।
ग्रामीणों का कहना है:
“हमें समझ में नहीं आता कि प्रशासन क्यों चुप बैठा है? पहले हमारी जमीन हड़पी गई, अब गांव की सरकारी संपत्ति कबाड़ में बेच दी जा रही है।”
ट्रांसफार्मर का सामान भी घर में?
सूत्रों के अनुसार, गांव के कुछ लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि बिजली ट्रांसफार्मर से जुड़ा कुछ सामान भी प्रधान के घर में रखा गया है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वह सामान प्रधान पति ने खुद खरीदा है या फिर बिजली विभाग के किसी कर्मचारी के माध्यम से अवैध रूप से लाया गया है। ग्रामीणों का संदेह है कि यह सामान भी बाद में कबाड़ में बेचने की मंशा से रखा गया है।
ग्रामीणों ने दिया वीडियो सबूत
घटना को लेकर गांववालों ने एक वीडियो भी बनाकर मीडिया को सौंपा है, जिसमें स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि कैसे सड़क को उखाड़ा गया और चैनल्स को हटाया गया। ग्रामीणों का दावा है कि यह सब जनता की आंखों के सामने हुआ, लेकिन प्रशासन अब तक मूकदर्शक बना हुआ है।
क्या कहता है नियम?
MLA निधि से बने कार्यों को बिना उचित प्रक्रिया के तोड़ा नहीं जा सकता।
सरकारी निर्माण सामग्री को बेचना अपराध की श्रेणी में आता है।
पहले से बनी सड़क को दोबारा बनवाना सिर्फ फंड के दुरुपयोग का एक तरीका हो सकता है।
जिला प्रशासन से की गई मांग
गांव के लोगों ने जिलाधिकारी से इस पूरे मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर अब भी प्रशासन ने आंखें मूंदी रखीं, तो वह दिन दूर नहीं जब प्रधान पति पूरे गांव की संपत्ति पर कब्जा कर लेंगे और किसी को भनक भी नहीं लगेगी।
ग्रामीणों का कहना है:
“अगर अब भी कोई एक्शन नहीं हुआ, तो यह साफ इशारा होगा कि कहीं न कहीं भ्रष्टाचार में प्रशासन की मिलीभगत है।”
प्रधान पति के खिलाफ आरोपों की लंबी लिस्ट अब गांववालों के धैर्य की सीमा लांघ चुकी है। जमीन कब्जा, सड़क उखाड़ना, लोहे के चैनल बेचना और अब ट्रांसफार्मर के सामान की मौजूदगी – यह सब एक सामान्य जनप्रतिनिधि से अपेक्षित नहीं है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशासन इस बार कोई ठोस कदम उठाएगा, या फिर यह मामला भी अन्य कई मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।
In the village of Mohammadpur Kadim under Modinagar Tehsil, the pradhan’s husband has once again found himself at the center of controversy. This time, villagers allege he sold iron drainage channels installed under the MLA development fund to scrap dealers. The road built with public funds was also allegedly uprooted and rebuilt for personal profit. This is not the first time the pradhan’s husband has faced serious accusations. With growing frustration, villagers are demanding strict legal action from the district authorities against the misuse of government resources and public trust.